केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए और अधिक निवेश आकर्षित करने के प्रशासन ने प्रयास तेज किए हैं। इस कड़ी में जम्मू-कश्मीर निजी औद्योगिक संपदा विकास नीति 2021-30 में संशोधन किए गए हैं। नई नीति में भूमि की खरीद पर स्टांप शुल्क, भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) और सेल डीड पर पंजीकरण शुल्क में 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति मिलेगी।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में वीरवार को हुई प्रशासनिक परिषद (एसी) की बैठक में जम्मू-कश्मीर निजी औद्योगिक संपदा विकास नीति के संशोधन को मंजूरी दी गई। नई नीति के तहत हितधारकों को कई लाभ दिए गए हैं ताकि प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश आए और उद्योग लगाने में आड़े आने वाले नियम आसान हों।
निजी औद्योगिक संपदाओं के माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 2000 कनाल (250 एकड़) भूमि विकसित की जाएगी। राजस्व अधिकारियों ने दस्तावेज जारी करने की समय-सीमा तय करने के साथ ही और प्रोत्साहनों की प्रतिपूर्ति के लिए दिशा-निर्देश नीति में शामिल किए हैं।
निजी उद्योगों में सरकारी भूमि के आवंटन का उल्लेख भी संशोधित नीति में तय किए नियमों के अधीन होगा। बैठक में उप-राज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू, एलजी के प्रधान सचिव मंदीप कुमार भंडारी मौजूद रहे।
कठुआ में औद्योगिक इकाइयों को 2183 कनाल भूमि हस्तांतरित
प्रशासनिक परिषद की बैठक में भूमि हस्तांतरण को भी मंजूरी दी गई। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में नई औद्योगिक इकाइयों के लिए कठुआ के गांव गंडयाल, माजरा, बागथली और तराफ मंजली में 2183 कनाल 14 मरला सरकारी भूमि हस्तांतरित की गई।
बता दें कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 31 अक्तूबर, 2019 से अब तक प्रशासन 31000 कनाल से अधिक राज्य की और शामलाट भूमि को उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को हस्तांतरित कर चुका है। कठुआ जिला इस औद्योगिक संपदा की स्थापना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।