जम्मू कश्मीर: घाटी में दशहरा मनाया गया, 35 साल बाद निकली शोभायात्रा

मंगलवार को पूरे देश में दशहरे की धूम रही। इस बार जम्मू कश्मीर में भी दशहरा जबरदस्त तरीके से मनाया गया। घाटी में दशहरे का जश्न कहीं ना कहीं इस बात का संकेत दे रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश विकास की दृष्टि से काफी आगे बढ़ रहा है और वहां शांति है। कश्मीर में सैकड़ों कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं ने धार्मिक उत्साह के साथ दशहरा मनाया। इस मौके पर श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाए गए। वहीं, 35 साल बाद दशहरे पर इंदिरा नगर के शिव मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई। घाटी में आतंकवाद के कारण दशहरे का त्योहार कई साल तक नहीं मनाया गया। 

मंगलवार शाम को आतिशबाजी और पुतला जलाने की रस्म को देखने के लिए घाटी के विभिन्न हिस्सों से पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की एक बड़ी भीड़ मैदान में उमड़ी। कार्यक्रम का आयोजन कदल फाउंडेशन और कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति द्वारा किया गया था। दशहरा या विजयादशमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह वार्षिक त्यौहार शारदीय नवरात्र के दसवें दिन दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इसमें शामिल एक ने कहा कि अलग-अलग आस्था होने के बावजूद मेरा मानना है कि सभी एक ही परिवार हैं और सभी धर्मों के त्योहार एक साथ मनाने चाहिए।

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा, जिसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है, मंगलवार को देशभर में पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। देश के अलग-अलग हिस्सों में रावण, उसके बेटे मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के बड़े-बड़े पुतले जलाए गए तथा इन कार्यक्रमों में आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं ने भी भाग लिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कई अन्य नेताओं ने दशहरा उत्सव मनाने के लिए दिल्ली में अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल हुए। राष्ट्रीय राजधानी के द्वारका में आयोजित एक कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से देश को जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताकतों को खत्म करने का आह्वान किया।

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