जम्मू-कश्मीर: टारगेट किलिंग के मास्टरमाइंडों से सख्ती से निपटा जाएगा- मनोज सिन्हा

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित और शोपियां में यूपी के दो मजदूरों की हत्या की निंदा की। कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में शांति भंग करने की कोशिश करने वालों ने एक बड़ी गलती की है और उन्हें पछताना पड़ेगा। इसे ब्याज सहित चुकाना होगा। श्रीनगर में पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए एलजी ने कहा, पुलवामा में मारे गए एक कश्मीरी पंडित के परिवार के सदस्य और शोपियां ग्रेनेड हमले में मारे गए यूपी के दो मजदूरों के साथ मैं दिल की गहराई से संवेदना व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि पुलवामा और शोपियां के हमलों के मास्टरमाइंडों से सख्ती से निपटा जाएगा।

समारोह में ‘द स्लम क्वीन’ शीर्षक पुस्तक का विमोचन किया गया। किताब को मुंबई निवासी जम्मू-कश्मीर में जन्मी लेखक रूबल नागी ने लिखा है। एलजी ने कहा कि जो लोग शांति को पचा नहीं सकते, वे जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कुछ लोग नहीं चाहते कि कश्मीर में कारोबार बढ़े और छात्र पढ़ाई करें। यही लोग यहां शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। ये नहीं चाहते कि आम आदमी शांतिपूर्ण माहौल में रहे। इसलिए ये ऐसी शरारतें करते रहते हैं, लेकिन वे कभी सफल नहीं होंगे।

हाल ही में हुई हत्याओं की पृष्ठभूमि में न्याय की मांग करने वालों पर तंज कसते हुए कहा, सवाल उठता है कि न्याय किसको मिले। इसको लेकर उन्होंने कहा, हाल में आपने एक घटना पढ़ी होगी। तालिबान के एक धड़े का कमांडर काफी कुख्यात था और अंधाधुंध हत्याओं के लिए दुनिया उसे जानती थी। आए दिन अस्पताल, स्कूल यहां तक कि मातम के लिए इकट्ठा हुई भीड़ पर भी आतंकी हमला करता था। 

उससे किसी ने पूछा कि इस तरह की विवेकहीन हत्याओं के कारण क्या है। कमांडर ने पूरी ईमानदारी से कहा हम लोगों की सेवा नहीं करते। न हम आम नागरिकों को बिजली, पानी दे सकते हैं और न ही सड़क, स्कूल, अस्पताल दे सकते हैं। हम लोगों को मात्र सुरक्षा की भावना दे सकते हैं, लेकिन हम यह सुरक्षा की भावना तब दे सकते हैं जब तक उनमें असुरक्षित होने की भावना आएगी।  उन्होंने कहा कि तालिबान कमांडर यह कहना चाहता था कि आम आदमी और प्रशासन दोनों को यह महसूस होना चाहिए कि जब तक तालिबान का शासन स्थापित नहीं होगा तब तक न तो आम आदमी न ही प्रशासन शांतिपूर्वक तरीके से रह सकता है। 

एलजी सिन्हा ने कहा कि तीन दिन के अंदर जो यह हत्याएं हुई हैं इस निर्मम हत्या का सवाल है। उन्होंने कहा कि मैं उन आंकड़ों को दोहराऊं तो उन लोगों को जो यह बयान दे रहे हैं, कालिख कम पड़ जाएगी उनके चेहरे पर पोतने के लिए। लेकिन आज जिक्र करना मैं जरूरी समझता हूं। जिन लोगों ने इस सूबे को लंबे समय तक चलाया है, यह लोगों को ध्यान रहना चाहिए कि 1998 में गांदरबल वनधामा में 26 कश्मीरी हिंदुओं की हत्या हुई थी। कौन था उस समय यहां। 1998 में प्राणकोट उधमपुर में 26 लोग मारे गए थे, 1998 में डोडा में 25 लोग मारे गए, 2000 में छट्टी सिंगपोरा में 35 सिखों को मारा गया, 2000 में अमरनाथ यात्रा के दौरान 32 लोग मारे गए, जिसमें 7 हमारे मुसलमान भाई भी थे। लितर में 17 लोग मारे गए, कासिम नगर में भी अनेक लोग मारे गए। 

बेगुनाह को छेड़ो मत, गुनहगार को छोड़ो मत

एलजी ने कहा कि सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि 370 हटने के बाद कहा गया था कि आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, मैं यह कहना चाहता हूं कि अगर आप आंकड़ों को देखेंगे तो काफी कमी आई है। यह सच है कि कुछ निर्दोष लोगों की हत्याएं हुई हैं, लेकिन यह भी सच है कि जो ईको-सिस्टम जानबूझकर कर लंबे समय से बनाया गया था चाहे वो व्यापार में हो या सरकारी तंत्र में हो उसको खत्म करने की पुरजोर कोशिश हो रही है। कहा कि प्रशासन का बस एक ही मंत्र है जो मैं कई बार दोहरा चूका हूं और वो है, बेगुनाह को छेड़ो मत, गुनहगार को छोड़ो मत। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि पिछले दो ढाई वर्षों में किसी भी बेगुनाह की जान पुलिस कार्रवाई में नहीं गई। अगर कहीं संदेह पैदा हुआ है तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की कोशिश की गई।

सिन्हा ने कहा कि 2016-19 और 2019-22 के बीच तुलना की जाए तो आंकड़े लगभग आधे हो गए हैं। लेकिन लोगों की अपेक्षा हमसे दूसरी है, क्योंकि देश में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिस पर पूरे देश को भरोसा है। उन्होंने कहा कि एक छोटी घटना भी लोगों को दहलाती है, उनकी अपेक्षा यह है कि एक भी घटना नहीं होनी चाहिए। एलजी ने कहा कि आतंकी संगठनों के सरपरस्तों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन की संख्या बढ़ी है। ईको-सिस्टम किस तरह से समाप्त हो इस पर पूरी कोशिश की जा रही है। दूसरे देश के इशारे पर अब यहां हड़तालें भी नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चे पढ़ रहे हैं, किसी की दुकान और बिजनेस यूनिट को कोई जबरदस्ती बंद नहीं करा सकता। आम आदमी अमन चैन से रोजी रोटी कमाए, इसमें हम सफल हुए हैं।   

 उन्होंने यह भी कहा कि टेरर फंडिंग और रिक्रूटमेंट पर काफी हद तक अंकुश लगा है। सपोर्ट सिस्टम को चलाने वाले लोगों के ताबूत में आखिरी कील भी जल्द ठोकी जाएगी। एलजी ने कहा कि मौत का कोई मुआवजा नहीं होता, जिस परिवार का दीया बुझ जाता है उसको देखने वाला कोई नहीं होता।

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