अमेरिका-रूस में टकराव के बीच मिले जो बाइडेन और व्लादिमीर पुतिन, जिनेवा में मिलाया हाथ

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच बुधवार को बैठक होने जा रही है. जेनेवा (Geneva) में होने जा रही इस चर्चा पर दुनियाभर की निगाहें होंगी. 2014 में रूस के क्रीमिया पर कब्जा कर लेने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए थे. इसके बाद अमेरिकी पक्ष ने रूस पर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में दखल देकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की मदद करने का आरोप लगाया था. ऐसे में दोनों देशों के बीच बैठक में ये पांच बातें अहम होंगी.

एजेंडा

अमेरिकी कंपनियों पर रेंसमवेयर अटैक से लेकर विपक्ष के नेता को जहर देने और जेल में डालने समेत कई मुद्दे अहम होंगे. क्रेमलिन के सहयोगी ने मंगलवार को कहा कि परमाणु स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और साइबर सिक्युरिटी इस शिखर सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे होंगे. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों में जेल में बंद एक-दूसरे के नागरिकों को लेकर भी चर्चा हो सकती है. हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता है कि दोनों देश किसी समझौते पर पहुंचेंगे या नहीं.

सहयोग

रणनीतिक स्थिरता को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा हो सकती है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा था कि अमेरिका को यह उम्मीद है कि दोनों राष्ट्रपति ‘रणनीतिक स्थिरता’ को साफ निर्देश तैयार करेंगे. दोनों पक्ष वैश्विक कूटनीति के कुछ विशेष क्षेत्रों में और भी ज्यादा स्थिर संबंध रखने में दिलचस्पी रखते हैं.

नवेलनी

कहा जा रहा है कि बाइडन इस दौरान क्रेमलिन के आलोचक एलेक्सी नवेलनी के कारावास पर चर्चा कर सकते हैं. दुनियाभर के विशेषज्ञ इस मुद्दे पर अपनी नजरें बनाए हुए हैं. जनवरी में नवेलनी रूस से बर्लिन चले गए थे. यहां उन्होंने जहर दिए जाने के बाद उबरने के दौरान करीब आधा साल गुजारा. उन्हें पासपोर्ट कंट्रोल पर गिरफ्तार कर लिया गया. इसके करीब एक महीने बाद रूसी कोर्ट ने नवेलनी को पेरौल उल्लंघन के लिए दो साल से ज्यादा जेल की सजा सुनाई थी.

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइडन ने सोमवार को चेताया था कि अगर नवेलनी की रूसी हिरासत में मौत हो जाती है, तो मॉस्को के बाकी दुनिया के साथ संबंध और खराब होंगे.

साइबर सिक्युरिटी

बैठक के दौरान बाइडन रूसी नेता पुतिन के सामने रेंसमवेयर अटैक का मुद्दा भी उठा सकते हैं. बीते महीने डार्कसाइड नाम के एक हैकिंग ग्रुप ने कोलोनियल पाइपलाइन पर रेंसमवेयर अटैक किया था. इसके बाद अमेरिका को करीब 5500 मील की पाइपलाइन बंद करनी पड़ी थीं. आशंका जताई जा रही थी कि इस हैकिंग ग्रुप के तार रूस से जुड़े हुए थे. हालांकि, रूस लगातार साइबर अटैक के आरोपों को खारिज करता रहा है.

संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, व्हाइट हाउस के अधिकारी संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं होने पर जोर दे रहे हैं. जबकि, रूसी अधिकारियों ने शिखर सम्मेलन को लेकर हो रही बातचीत के दौरान संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की बात कही थी. कहा जा रहा है कि अमेरिका लगातार इस बात से बचना चाह रहा है, क्योंकि वे पुतिन को 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई बैठक की तरह कोई प्लेटफॉर्म नहीं देना चाहते.

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