खरगोन: शोभा यात्रा की हिंसा के शिकार कौड़ियों के दाम मकान बेचने पर मजबूर

मध्य प्रदेश के खरगोन में उपद्रव हुए 12 दिन बीत चुके हैं। इन 12 दिनों में शहर ने बहुत कुछ देखा। सबसे बुरी तस्वीर ये सामने आई कि दंगा प्रभावित इलाकों से लोग अपना घर बेचकर जाने को मजबूर हो रहे हैं। वे भयभीत हैं दंगों को नजदीक से देखकर। किसी का घर-दुकान जला तो किसी के यहां लूटपाट हुई। किसी के घर आए दिन पत्थर फेंके जाते हैं तो कई ऐसे मौकों पर इन घरों को निशाना बनाया जाता है।

खरगोन ने चार दशकों में चार दंगे झेले हैं। एक दशक में दो बार यहां हालात बिगड़े। इस दौरान पथराव, पेट्रोल बम का सामना करने वाले 30 से ज्यादा परिवारों की हिम्मत जवाब दे गई और करीब 30 से ज्यादा मकान बिक गए। इनमें हिन्दू परिवारों के मकान ज्यादा हैं। इस बार रामनवमी पर हुए दंगे के बाद भी दंगा प्रभावित इलाकों के 20 से ज्यादा मकानों के बाहर ‘मकान बेचना है’ लिखा देखा गया। उन परिवारों से विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ता संपर्क कर फैसला बदलने की कवायद कर रहे हैं, लेकिन दंगों के दौरान मौत को करीब से गुजरते देख लोग उनसे यह सवाल पूछते हैं कि इस बार तो हमारी जान बच गई? अगली बार दंगे हुए तो फिर कौन हमें बचाने आएगा?

रामनवमी पर खरगोन में हुए उपद्रव में तीन इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। संजय नगर, त्रिवेणी चौक और आनंदनगर में पुलिस ने अस्थायी चौकियां स्थापित की हैं। संजय नगर में सबसे ज्यादा मकानों पर बेचना है लिखा गया है। यहां पिछले साल भी दो पक्षों में विवाद के बाद पथराव हुआ था, हालांकि तब कर्फ्यू नहीं लगा, लेकिन 7 मकान बस्ती में बिक गए थे और ज्यादातर मकान मुस्लिम परिवारों ने ही खरीदे, क्योंकि दूसरे खरीदार नहीं मिले। 2015 में भी यहां हालात बिगड़े थे।

काजीपुरा के एक शख्स ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि चाहें 1992 का दंगा हो या 2015 का। हर बार दंगाइयों ने मकानों को नुकसान पहुंचाया। बस्ती के ही कुछ लोग चाहते हैं कि वे मकान औने-पौने दामों पर बेच कर चले जाएं, लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते तो हमें दंगों के समय नुकसान उठाना पड़ता है। इस बार तो दंगाइयों ने हद ही कर दी। हमारे मकान को आग के हवाले कर दिया। काजीपुरा के माली परिवार ने इस दंगे के पहले मकान बेच दिया। बस्तीवालों ने बताया कि आए दिन घर पर पत्थर फेंके जाते थे। कई बार उसकी शिकायत भी की, लेकिन हल नहीं निकला। उन्होंने बहुत सस्ती कीमत में मकान बेच दिया। इसी मोहल्ले में चार मकानों को पूरी तरह जला दिया गया। वे परिवार भी घर छोड़कर जा चुके हैं।

खरगोन के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने मामले में कहा कि दंगे से लोग प्रभावित हुए हैं। मैंने जब दौरा किया तो पीड़ितों से चर्चा भी की। हमने उन्हें आश्वस्त किया है कि वे सरकार पर भरोसा रखें। इस बार दंगाइयों पर हम ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं ताकि अब वो ऐसी हरकत फिर न कर सकें। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर कार्यवाह गोविंद खोड़े का कहना है कि दंगे के बाद प्रभावित क्षेत्रों में हिन्दू परिवारों के मकानों के सौदे की जानकारी अक्सर सामने आती है। दो दंगों में ही 30 मकानों के सौदों हुए हैं। हमारे अनुशांगिक संगठनों के कार्यकर्ता परिवारों से मिलकर मकान न बेचने का आग्रह कर रहे हैं। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विपिन माहेश्वरी ने भी खरगोन के हालातों का जायजा लिया था। इस दौरान कई घरों पर यह मकान बिकाऊ है, लिखा देखकर उन्होंने पीड़ितों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया था।

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