बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज: पुलिस ने सप्ताहभर पहले हुए बवाल से नहीं लिया सबक

बरेली के जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा को लेकर सप्ताहभर पहले हुए बवाल से पुलिस ने सबक नहीं लिया। पुलिस की वजह से पूरा शहर तनाव के हवाले हो गया। छह दिन शांत बैठे रहे अफसरों की सक्रियता रविवार सुबह से दिखी, जो नाकाफी साबित हुई। आखिरकार शाम को कांवड़ियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा।

रविवार सुबह सीओ तृतीय आशीष प्रताप सिंह, बारादरी इंस्पेक्टर अभिषेक सिंह, शहर के विभिन्न थानों के प्रभारी व काफी संख्या में फोर्स जोगी नवादा पहुंच गया। आरआरएफ को भी इबादत स्थल के पास बुला लिया गया। पूरे इलाके में पुलिस कई टुकड़ियों में फैल गई। सीओ और बारादरी इंस्पेक्टर ने कांवड़ यात्रा के जत्थेदारों के साथ बैठक कर उन्हें साधना शुरू किया। 

जत्थेदार राकेश कश्यप व प्रभास सक्सेना समेत अन्य लोगों से बात की। इन लोगों ने बताया कि वर्ष 2008 से यह कांवड़ यात्रा इसी मार्ग से निकलती रही है। उनसे दस साल पुरानी अनुमति मांगी गई। जत्थेदारों ने फिलहाल कुछ समय से कोरोना काल में जत्था न निकालने की बात कही। जत्था निकालने संबंधी कुछ साक्ष्य भी दिए। कहा कि पहले छोटा डीजे जाता था, इस बार उन्होंने बड़ा डीजे ले जाने का निर्णय लिया है।

दरोगा इसरार ने दूसरे पक्ष से की वार्ता 

इधर, दरोगा इसरार अली व ललित कुमार ने दूसरे पक्ष के साथ बैठक की। इनमें पूर्व पार्षद शराफत अल्वी, सलीम अल्वी, साबिर और जुल्फिकार अल्वी आदि ने बताया कि इस तरह बड़ा जत्था और डीजे यहां से कभी नहीं निकला है। हो सकता है कि कुछ लोग बाइक से कभी निकल गए हों या फिर बंद होकर डीजे चला गया हो। 

यह जत्था निकला तो नई परंपरा पड़ जाएगी जो इलाके की शांति व्यवस्था को प्रभावित करेगी। यहां बाद में सीओ तृतीय भी आए और लोगों को समझाने की कोशिश की। एसपी सिटी ने भी इन लोगों से बात की। शाम ढले ये लोग राजी हुए भी तो डीजे बंद करके ले जाने की शर्त पर, हालांकि इनकी बस्ती तक डीजे आने से पहले ही बवाल हो गया। 

दोनों ओर से डटी थी भीड़

चक महमूद से जोगी नवादा तक मिश्रित आबादी का इलाका है। इसमें कुछ जगह दोनों समुदायों की आबादी एक ही जगह पर रहती है। कुछ जगह थोड़ी दूर तक एक समुदाय तो आगे दूसरे समुदाय के लोग रहते हैं। ऐसे में कांवड़ जत्थे को लेकर सुबह से ही माहौल बेहद गरमाया हुआ था। पुलिस और खुफिया अमला भी इस बात को भांप चुका था। इसलिए टुकड़ों में बंटकर लोगों के मन की बात जानने और उन्हें समझाने की कवायद चल रही थी। 

सड़क पर डेढ़ किमी के दायरे में दोनों ओर से युवाओं के समूह डटे हुए थे। इनमें पुलिस कभी एक पक्ष को समझाकर मुख्य मार्ग से गलियों में भेजती थी तो थोड़ी ही देर में दूसरे समुदाय के लोग समूह बनाकर खड़े हो जाते थे। रविवार होने की वजह से भी भीड़ ज्यादा थी और कामकाजी लोग भी फुर्सत में आकर चर्चाओं में मशगूल रहे।पुलिस ने जोगी नवादा की घटना के बाद मौके से कुछ कांवड़ियों व हंगामा करने वालों को हिरासत में लिया था। बारादरी थाने में करीब छह सात लोग पकड़े लिए गए थे और इनसे पूछताछ की जा रही थी। भाजपा सांसद गंगवार, कैंट विधायक संजीव अग्रवाल आदि ने अधिकारियों से बात कर कांवड़ियों को बारादरी थाने से छुड़वा दिया। 

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