वाइब्रेंट गुजरात में बोले एलजी: आखिरी सांसें ले रहा आतंकवाद

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अंतिम सांस ले रहा है। प्रदेश में निवेश का मतलब भारत की एकता और अखंडता में निवेश करना होगा। शुक्रवार को गुजरात के गांधीनगर में 10वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के एक सेमिनार को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल ने ये बातें कहीं। उन्होंने निवेशकों से जम्मू कश्मीर में निवेश करने लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने निवेशकों को जम्मू कश्मीर में उद्यम स्थापित करने और प्रदेश को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में योगदान देने का आग्रह किया। पाकिस्तान का नाम लिए बिना, मनोज सिन्हा ने कहा कि भारत के पड़ोसी के नापाक मंसूबे सफल नहीं होंगे। जम्मू-कश्मीर की स्थिति जल्द ही देश के बाकी हिस्सों के समान हो जाएगा।

जम्मू-कश्मीर में निवेश आकर्षित करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने निवेशकों से वादा किया कि उन्हें केंद्र शासित प्रदेश में अपने निवेश से लाभ होगा।

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में आपको (निवेशकों को) अधिकतम लाभ मिलेगा और आप जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में भी योगदान देंगे। आतंकवाद अपनी आखिरी सांस ले रहा है। हमारा पड़ोसी हर बार अपनी पूरी कोशिश करता है, लेकिन हम इसे खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं।” आतंकवादियों और यूटी से आतंकवाद के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को उखाड़ फेंकना जाएगा।’जम्मू-कश्मीर को बताया देश की शारदा पीठ

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात को भविष्य का प्रवेश द्वार कहा है, लेकिन राज्य को देश की ‘शारदा पीठ’ जम्मू-कश्मीर के विकास में भी योगदान देना चाहिए।

जम्मू कश्मीर में अपराध दर गुजरात से कम

एलजी सिन्हा ने कहा कि लोग जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था को लेकर संदेह से भरे हुए थे, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र शासित प्रदेश में अपराध दर गुजरात से भी कम है।

उन्होंने कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार शांति खरीदने में नहीं बल्कि स्थायी रूप से शांति स्थापित करने में विश्वास करती है और मुझे यकीन है कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की स्थिति भी देश के बाकी हिस्सों जैसी ही होगी।”

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से वहां कई बड़े बदलाव हुए हैं और पर्यटकों के आगमन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें विदेशी पर्यटकों का आगमन भी शामिल है। जी20 की भारत की अध्यक्षता भी हुई, जिसके दौरान केंद्र शासित प्रदेश सहित देश भर में कई बैठकें हुईं।  

प्रदेश बनेगा चिकित्सा पर्यटन का केंद्र

केवल जम्मू-कश्मीर ही खाड़ी देशों के लिए चिकित्सा पर्यटन का केंद्र बन सकता है। 3 से 4 साल के बहुत ही कम समय में, हमने रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी में सुधार किया है। राजमार्गों और सुरंगों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के विकास कार्य चल रहे हैं। 2020 में इस क्षेत्र में 32 उड़ानें संचालित हो रही थीं, जो अब बढ़कर 126 हो गई हैं।

उपराज्यपाल ने कहा कि उद्योगों की सभी जरूरतें उपलब्ध कराई जा रही हैं और पीएम मोदी की इच्छा और योगदान से जम्मू-कश्मीर औद्योगीकरण की राह पर आगे बढ़ रहा है।स्विट्जरलैंड से ज्यादा सर्च हुआ जम्मू कश्मीर

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी कि जम्मू-कश्मीर स्विट्जरलैंड को पीछे छोड़कर सबसे अधिक खोजे जाने वाले वैश्विक (पर्यटन) गंतव्य के रूप में उभरा है। यह इस तथ्य का संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की रुचि बढ़ी है और निवेशकों का निवेश के अवसरों के बारे में विश्वास बढ़ा है।

श्रीनगर और जम्मू में महत्वपूर्ण शहरी परिवर्तन देखा गया है। जम्मू देश का एकमात्र ऐसा शहर बन गया है जहां आईआईटी, आईआईएम, एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित सभी प्रमुख शैक्षणिक संस्थान मौजूद हैं। यह गौरव अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई या कोलकाता को भी हासिल नहीं है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिरता, कुशल श्रम, कच्चे माल की आसान उपलब्धता, कई प्रोत्साहन, सक्षम और सुरक्षित कारोबारी माहौल, बुनियादी ढांचा और पारदर्शिता ऐसे कारक हैं जो यूटी में निवेश को आकर्षित करते हैं।

पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन निवेशकों के लिए देश में सबसे अधिक प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है और वहां बिजली भी सस्ती है। उन्होंने कहा कि गुजरात के आयोजन से जम्मू-कश्मीर के लिए 2,500 से 3,000 करोड़ रुपये के निवेश को साकार करने में मदद मिलेगी।

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