कन्नौज संसदीय सीट पर पिछले दो चुनाव की तरह इस बार भी जोरदार टक्कर के आसार

चौथे चरण के तहत होने वाले लोकसभा चुनाव में कन्नौज संसदीय सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं। पिछले दो चुनाव में यहां सपा और भाजपा के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। दोनों के हिस्से एक-एक बार कामयाबी रही। इस बार भी जोरदार टक्कर के आसार हैं। वर्ष 1967 से वजूद में आई कन्नौज संसदीय सीट पर गैर भाजपा और गैर कांग्रेस पार्टियों का दबदबा रहा है। यहां से कन्नौज को शुरुआती दौर में दो बार 1971 और 1984 में जीत मिली है। भाजपा भी दो बार 1996 और 2019 में कामयाब हो चुकी है। इसके अलावा 11 बार सोशलिस्ट विचारधारा की पार्टियों को कामयाबी मिलती रही है।

इसमें सबसे ज्यादा सात बार समाजवादी पार्टी ने यहां से अपना परचम लहराया है। वर्ष 1996 में भाजपा से इस सीट को झटकने वाली सपा ने 1998 से 2014 के बीच लगातार सात चुनाव में कामयाबी हासिल की है। उसका मुकाबला बसपा और भाजपा से होता रहा है। हालांकि पिछले दो चुनाव में भाजपा से उसे कड़ी टक्कर मिली है।वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार सपा को कड़ी टक्कर दी थी। तब मौजूदा सांसद डिंपल यादव बमुश्किल अपनी सीट बचा सकी थीं। इसके बाद वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के सुब्रत पाठक ने बेहद कड़े मुकाबले में डिंपल यादव से यह सीट झटक ली थी। वर्ष 2014 में बसपा मैदान में रहकर तीसरे नंबर पर रही थी। वर्ष 2019 में सपा संग गठबंधन की वजह कर वह मैदान से बाहर थी। इस बार बसपा फिर से ताल ठोक रही है।

सपा का अखिलेश पर दारोमदार, भाजपा जीत रखना चाह रही बरकरार
इमरान बिन जफर
लगातार सात चुनाव में मिली जीत के बाद पिछली बार भाजपा से इस सीट को गंवाने वाली सपा फिर से इसे वापस हासिल करने की जुगत में है। सपा इस सीट को लेकर कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद पार्टी मुखिया अखिलेश यादव मैदान में हैं। जबकि उन्हें टक्कर देने के लिए भाजपा ने फिर से सुब्रत पाठक को ही मैदान में उतारा है। पिछली बार इस सीट को सपा से हासिल करने वाले सुब्रत पाठक सपा पर लगातार हमला बोल रहे हैं। इन दोनों के बीच बसपा ने इमरान बिन जफर को मैदान में उतार रखा है।

दो चुनाव में तीन के मुकाबले दो का रहा है नतीजा
पिछले दो लोकसभा चुनाव पर निगाह डालें तो यहां पांच विधानसभा सीट पर तीन-दो के मुकाबले से बाजी हाथ लगी है। वर्ष 2014 के चुनाव में सपा ने छिबरामऊ, कन्नौज सदर और रसूलाबाद में बढ़त बनाकर जीत हासिल की थी। तिर्वा और बिधूना में भाजपा को बढ़त मिली थी। इसी तरह वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने पांच में से तीन सीट पर बढ़त बनाकर जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा को पिछली बार तिर्वा और बिधूना के बाद रसूलाबाद सीट पर बढ़त मिली थी। जबकि सपा ने छिबरामऊ और कन्नौज सदर में बढ़त बरकरार रखी थी। इस तरह रसूलाबाद सीट पर सपा को झटका देकर भाजपा ने इस संसदीय सीट पर कामयाबी हासिल कर ली थी।

2014 में इस तरह हुआ था मुकाबला, सपा जीती थी

विधानसभा सीटसपा भाजपाबसपाबढ़त
छिबरामऊ12596910233618998सपा
तिर्वा9445510248618862भाजपा
कन्नौज सदर111272103171 29867सपा
बिधूना756568807829022भाजपा
रसूलाबाद 795947291130919सपा

2019 में भी इस तरह रहा था चुनावी नतीजा, भाजपा कामयाब

विधानसभा सीटसपाभाजपाबढ़त
छिबरामऊ130929119183सपा
तिर्वा100420115778भाजपा
कन्नौज सदर 126290117449सपा
बिधूना106025106365भाजपा
रसूलाबाद85541102511भाजपा

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