युवा धार्मिक व वैचारिक टकराव से निपटने में शिक्षा को अपना हथियार बनायें: मौलाना अरशद मदनी

नयी दिल्ली। देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए- हिंद (अरशद मदनी गुट) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने सोमवार कहा कि देश में बढ़ते ‘धार्मिक और वैचारिक टकराव’ का मुकाबला नई पीढ़ी को शिक्षा से लैस करके ही किया जा सकता है ताकि वे इससे निपटने में ज्ञान का इस्तेमाल करें।

जमीयत की ओर से यहां जारी एक बयान में मौलाना मदनी के हवाले से हिंसा और भीड़ द्वारा पीटकर हत्या किए जाने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है,‘‘एक लोकतांत्रिक देश में कानून हाथ में लेना और सरकार का इस मामले में मूक दर्शक बने रहना सही नही है।’’

मौलाना मदनी ने भीड़ द्वारा पीटकर हत्या किए जाने की घटनाएं होने का आरोप लगाया और कहा ‘‘यह सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है और इसका उद्देश्य धार्मिक उग्रवाद को भड़काकर बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों के खिलाफ करना है।’’ उन्होंने दावा किया कि ऐसी घटनाएं किसी राज्य में चुनाव आने से पहले अचानक बढ़ जाती हैं। बुजुर्ग मुस्लिम नेता ने कहा, ‘‘अगर देश में यह अराजकता बढ़ती रही, तो न केवल अल्पसंख्यक, दलित और देश के लोग कमजोर होंगे, बल्कि विकास भी पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा और देश का नाम धूल में मिल जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ देश में जिस तरह का धार्मिक और वैचारिक टकराव शुरू हो गया है, उसकी बराबरी किसी हथियार या तकनीक से नहीं की जा सकती है। इससे मुकाबला करने के लिए हमें अपनी नई पीढ़ी को उच्च शिक्षा से लैस करना होगा, ताकि वे इस वैचारिक टकराव से निपटने में शिक्षा को अपना हथियार बनायें।’’

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