25 साल में निपटा मुजफ्फरनगर में दूध में मिलावट का मामला

मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने साक्ष्य के अभाव में दूध में मिलावट के मामले में आरोपित वकील पुत्र बारू को 25 साल बाद बरी कर दिया। दूध के नमूने की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद अभियोजन 23 साल में भी मौके के गवाह खाद्य निरीक्षक को कोर्ट में पेश कराने में नाकाम रहा।

यह था दूध में मिलावट की जांच व कोर्ट केस का मामला

अभियोजन के अनुसार मुख्यालय क्षेत्र मेघाखेड़ी के खाद्य निरीक्षक मदन सिंह ने 27 फरवरी 1997 को गोयला मोड़ शाहपुर में गाय-भैंस के दूध से भरी मेटाडोर रुकवा कर सैंपलिंग की थी। 3 शीशियों में दूध के नमूने लेकर जन विश्लेषक प्रयोगशाला लखनऊ को परीक्षण के लिए भेज दिया गया था। जिसकी रिपोर्ट 4 अप्रैल 1997 को प्राप्त हुई थी। जोकि नकारात्मक आई थी। इसके बाद कोर्ट में आरोपित वकील पुत्र बारू निवासी डाकखाना मुबारिकपुर थाना मंसूरपुर के विरुद्ध अपमिश्रण की विभिन्न धाराओं में कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया था।

एसीजेएम-1 कोर्ट में चली सुनवाई, आरोपित दोषमुक्त

मुकदमे की सुनवाई एसीजेएम-1 प्रशांत कुमार की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा खाद्य निरीक्षक मदन सिंह ने 28 जनवरी 1999 को कोर्ट में गवाही दी। लेकिन अभियोजन 23 साल के दौरान मौके के गवाह खाद्य निरीक्षक पुरकाजी एमवी शर्मा की गवाही कोर्ट में कराने में नाकाम रहा। 29 मार्च 2022 को कोर्ट ने साक्ष्य का समय समाप्त कर दिया। दोनाें पक्षों की बहस सुनने के उपरांत कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित वकील पुत्र बारू को बरी कर दिया। अभियोजन अधिकारी रामअवतार सिंह ने बताया कि कोर्ट के निर्णय का अवलोकन किया जा रहा है। निर्णय कंटेस्टेड है। जिसकी अपील की जाएगी।

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