केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन की स्थापना को मंजूरी दे दी है. मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया. बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. सरकार ने इस नये संस्थान के लिये 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी का प्रस्ताव किया है.
उन्होंने बताया, डीएफआई की स्थापना के लिए विकास और फाइनेंशियल उद्देश्य दोनों मायने रखेंगे. वित्त मंत्री ने कहा, डीएफआई लंबी अवधि के फंड जुटाने में मदद करेगा और बजट 2021 प्रारंभिक राशि प्रदान करेगा. इस साल कैपिटल इन्फ्यूजन 20,000 करोड़ रुपये होगा, प्रारंभिक अनुदान 5,000 करोड़ रुपये, अतिरिक्त वेतन वृद्धि 5,000 करोड़ रुपये की सीमा के भीतर की जाएगी.
बड़े फंडिंग के लिए देश में बनेगा राष्ट्रीय बैंक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, बड़े फंडिंग के लिए देश में नये बैंकों की स्थापना की जाएगी. उन्होंने कहा, बजट के दौरान हमने उल्लेख किया था कि हम फंड इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट एक्टिविटी के लिए एक राष्ट्रीय बैंक की स्थापना करेंगे.
बैंकों के निजीकरण पर सरकार का बड़ा फैसला
केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि जिन बैंकों का निजीकरण होने की संभावना है उनके निजीकरण होने के बाद भी कार्य जारी रहेगा और कर्मचारियों की इंटरेस्ट की भी रक्षा होगी.
बैंकों के निजीकरण को लेकर सड़क से लेकर संसद तक बवाल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश करते हुये सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. उस घोषणा के बाद से बैंकों के निजीकरण को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन जारी है. इधर सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण की घोषणा किये जाने के विरोध में बैंकों में दो दिवसीय हड़ताल भी जारी है. संसद में भी कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरने का काम किया है और इस मुद्दे पर सरकार ने जवाब भी मांगा है.