मोदी ने स्वामी चिद्भवानंद की भगवदगीता के किंडल संस्करण का शुभारंभ किया

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामी चिद्भवानंद की भगवदगीता के किंडल संस्करण का आज वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ किया।

प्रधानमंत्री ने स्वामी चिद्भवानंद की भगवदगीता को ई-पुस्तक के रूप में लाने की सराहना की और कहा कि इससे युवा और अधिक संख्या में गीता के नेक विचारों से जुड़ सकेंगे।

उन्होंने कहा कि यह परम्परा और प्रौद्योगिकी का परस्पर मिलन है।

इससे शाश्वत गीता और गौरवशाली तमिल संस्कृति के बीच संपर्क भी प्रगाढ़ होगा।

स्वामी चिद्भवानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी चिद्भवानंद का मस्तिष्क, शरीर, हृदय और आत्मा भारत के पुनर्निर्माण के प्रति समर्पित थी।

उन्होंने कहा कि स्वामी चिद्भवानंद पर स्वामी विवेकानंद के मद्रास व्याख्यान का प्रभाव पड़ा, जिसमें उन्होंने राष्ट्र को सर्वोपरि रखने और लोगों की सेवा करने की प्रेरणा दी थी।

एक ओर स्वामी चिद्भवानंद स्वामी विवेकानंद से प्रेरित थे, तो दूसरी ओर अपने नेक कार्यों से विश्व को प्रेरित करते रहे।

उन्होंने सामुदायिक सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए और स्वामी चिद्भवानंद के नेक कार्य को आगे बढ़ाने के लिए श्री रामकृष्ण मिशन की सराहना की।

श्री मोदी ने कहा कि गीता की सुंदरता, इसकी गहराई, विविधता और लचीलेपन में है।

आचार्य विनोबा भावे ने भगवदगीता का वर्णन मां के रूप में किया है, जो बच्चे की गलती पर उसे अपनी गोद में ले लेती हैं।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती जैसे महान नेता गीता से प्रेरित थे।

गीता हमें सोचने में सक्षम बनाती है, प्रश्न करने के लिए प्रेरित करती है, बहस को प्रोत्साहित करती है और हमारे मस्तिष्क को खुला रखती है।

उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति गीता से प्रेरित हैं, वह स्वभाव से दयालु और लोकतांत्रिक मनोदशा का होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here