मोहन भागवत ने इंडिया की बजाय भारत नाम का उपयोग करने की दी सलाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि ‘इंडिया’ की बजाय भारत शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से इसकी आदत डालने का आग्रह भी किया। भागवत ने कहा कि भारत नाम प्राचीन समय से चला आ रहा है और इसे आगे भी जारी रखना चाहिए। हम आपको बता दें कि भागवत ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब विपक्ष ने इंडिया नाम से एक राष्ट्रीय गठबंधन बनाया है। इंडिया नामक गठबंधन बनने के बाद से भाजपा और संघ परिवार से जुड़े नेताओं ने अपने बयानों के जरिये इंडिया नाम को गुलामी काल से जोड़ते हुए कहा था कि देश का प्राचीन नाम भारत ही है और इसे इसी नाम से बुलाया जाना चाहिए। अब जब आरएसएस प्रमुख का इस संदर्भ में बयान आ गया है तो उम्मीद है कि भाजपा के सभी नेता इसका अनुसरण करेंगे। हम आपको यह भी बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा तो अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में इंडिया की जगह भारत कर भी चुके हैं जिस पर विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा था कि भाजपा इंडिया से घबरा गयी है। विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया था कि इंडिया नाम यदि गुलामी की निशानी है तो प्रधानमंत्री मोदी स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया या मेक इन इंडिया नाम से अपनी योजनाएं क्यों चलाते हैं?

खास बात यह है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश को भारत नाम से पुकारे जाने संबंधी बयान उस राज्य असम में दिया जहां के मुख्यमंत्री अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में देश का नाम इंडिया से बदल कर भारत करने वाले पहले बड़े राजनीतिक व्यक्ति थे। हम आपको बता दें कि मोहन भागवत ने गुवाहाटी में सकल जैन समाज के कार्यक्रम में कहा, “हमारे देश का नाम सदियों से भारत ही है। भाषा कोई भी हो, नाम एक ही रहता है।” भागवत ने कहा, “हमारा देश भारत है और हमें सभी व्यवहारिक क्षेत्रों में ‘इंडिया’ शब्द का प्रयोग बंद करके भारत का उपयोग शुरू करना होगा, तभी परिवर्तन आएगा। हमें अपने देश को भारत कहना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा।” भागवत ने एकीकरण की शक्ति पर जोर देते हुए कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो सभी को एकजुट करता है। उन्होंने कहा, “आज दुनिया को हमारी जरूरत है। हमारे बिना, दुनिया नहीं चल सकती। हमने योग के माध्यम से दुनिया को जोड़ा है।” उन्होंने दावा किया कि अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को प्रतिस्थापित कर दिया था, वहीं नयी शिक्षा नीति बच्चों में देशभक्ति की भावना बढ़ाने का एक प्रयास है। आरएसएस प्रमुख ने अभिभावकों से अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति, परंपरा और पारिवारिक मूल्यों से अवगत कराने का भी आग्रह किया। भागवत ने कहा कि वह सितंबर के अंतिम सप्ताह में एक कार्य दिवस को ‘अंतरराष्ट्रीय क्षमा दिवस’ के रूप में मनाने के अनुरोध से सरकार को अवगत कराएंगे।

हम आपको यह भी बता दें कि अभी एक दिन पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारत एक “हिंदू राष्ट्र” है और सभी भारतीय हिंदू हैं तथा हिंदू सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आरएसएस प्रमुख नागपुर में ‘दैनिक तरुण भारत’ अखबार चलाने वाली कंपनी श्री नरकेसरी प्रकाशन लिमिटेड की नई इमारत ‘मधुकर भवन’ के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है और यह एक सच्चाई है। वैचारिक रूप से, सभी भारतीय हिंदू हैं और हिंदू का मतलब सभी भारतीय हैं। वे सभी जो आज भारत में हैं, वे हिंदू संस्कृति, हिंदू पूर्वजों और हिंदू भूमि से संबंधित हैं, इनके अलावा और कुछ नहीं।” भागवत ने कहा, “कुछ लोग इसे समझ गए हैं, जबकि कुछ अपनी आदतों और स्वार्थ के कारण समझने के बाद भी इस पर अमल नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग या तो इसे अभी तक समझ नहीं पाए हैं या भूल गए हैं।” अखबार के कार्यालय में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रिपोर्टिंग में सभी को शामिल किया जाना चाहिए और “अपनी विचारधारा को बरकरार रखते हुए” इसे निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। भागवत ने कहा कि “हमारी विचारधारा” की दुनियाभर में बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि वास्तव में इस विचारधारा का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, “हर कोई इसे समझ गया है। कुछ इसे स्वीकार करते हैं, कुछ नहीं।” आरएसएस प्रमुख ने कहा कि स्वाभाविक है कि इस संबंध में वैश्विक जिम्मेदारी देश-समाज और उन मीडिया पर आएगी जो “विचारधारा” का प्रसार करते हैं। भागवत ने पर्यावरण की देखभाल करने और “स्वदेशी”, पारिवारिक मूल्यों तथा अनुशासन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here