एमएस धोनी का वो साथी जिसने गौतम गंभीर को उनका आईपीएल जिताया

2009 तक महेंद्र सिंह धोनी सभी फॉर्मेट में टीम इंडिया के कप्तान बन चुके थे, टीम इंडिया से ब्रेक मिला तो वो BCCI की कॉरपोरेट ट्रॉफी खेलने पहुंच गए. महेंद्र सिंह धोनी तब एयर इंडिया के लिए खेला करते थे, ये वो जमाना था जब टीम इंडिया के खिलाड़ी डोमेस्टिक क्रिकेट खेल लिया करते थे जिसको लेकर आजकल बवाल हो रहा है. जिस मैच की हम बात कर रहे हैं, वहां धोनी ने सैकड़ा जड़ा था उनके साथ दूसरे छोर पर खेल रहे प्लेयर ने उनसे भी बड़ा स्कोर बनाया. वो प्लेयर ऑफ द मैच रहा और ठीक 3 साल बाद उसी खिलाड़ी की वजह से महेंद्र सिंह धोनी एक फाइनल हार गए थे. ये खिलाड़ी मनविंदर बिस्ला थे, जिन्हें आईपीएल का एक अनसंग हीरो भी कहा जाता है.

आईपीएल ने कई ऐसे हीरो दिए हैं, जो काफी जल्दी गायब हो गए. मनविंदर बिस्ला भी उन्हीं में गिने जाते हैं, लेकिन साल 2012 में फाइनल में जो पारी उन्होंने खेली वो हमेशा के लिए इतिहास बन गई. आपको जानकर हैरानी तो तब होगी जब मालूम ये चलेगा कि मनविंदर बिस्ला उस फाइनल में नहीं खेलने वाले थे, क्यूंकि उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया था.

2012 में जब केकेआर ने सीजन की शुरुआत की, तो मनविंदर बिस्ला नंबर-3 पर खेला करते थे. क्यूंकि ओपनिंग गौतम गंभीर और ब्रैंडन मैक्कुलम कर रहे थे, बिस्ला ने शुरुआत के 3-4 मैच खेले उनको शुरुआत भी बढ़िया मिली लेकिन बड़ा स्कोर नहीं आ रहा था. इसी चक्कर में टूर्नामेंट के बीच में बिस्ला को ड्रॉप कर दिया गया. अब फाइनल से करीब 15-20 दिन पहले तक बिस्ला टीम का हिस्सा नहीं थे और क्यूंकि उन्हें मालूम था कि नंबर नहीं लगेगा तो वो प्रैक्टिस भी कम ही कर रहे थे.

लेकिन फाइनल से पहले गेम हो गया, क्यूंकि लक्ष्मीपति बालाजी को चोट लग गई. अब गौतम गंभीर को एक रिप्लेसमेंट चाहिए था, आप सोचेंगे कि बॉलर चोटिल हुआ तो बिस्ला जैसा बल्लेबाज़ कैसे प्लेइंग-11 में आ गया. तो इसकी भी एक कहानी है, क्यूंकि गौतम गंभीर को एक स्ट्राइक बॉलर चाहिए था तो उन्होंने ब्रेट ली को टीम में लाना चाहा. अब एक विदेशी प्लेयर को टीम में लाएंगे तो बाहर भी किसी विदेशी खिलाड़ी को ही भेजना पड़ेगा, गौतम ने यहां थोड़ा गंभीर फैसला लिया और ब्रैंडन मैक्कुलम को ही बाहर बैठा दिया.

मैक्कुलम के बाहर बैठने की वजह से एक ओपनर की जरूरत थी, गंभीर ने बिस्ला को बुलाया. फाइनल में जब सीएसके ने 191 का टारगेट दिया, तब गंभीर शुरुआत में ही आउट हो गए और बिस्ला ने अटैक करके 89 रन बना डाले. बाकी सब इतिहास है कि कैसे मनविंदर बिस्ला की इस पारी के दमपर कोलकाता को उसकी पहली आईपीएल ट्रॉफी मिली थी.

मनविंदर बिस्ला की कहानी सिर्फ एक पारी भर नहीं है, बिस्ला के हिस्से में भी एक लंबा संघर्ष है. 2000 का अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद टीम इंडिया के नए लड़के जब 2002 में दोबारा वर्ल्ड कप जीतने निकले, तब उस कैंपेन में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन मनविंदर बिस्ला ने ही बनाए थे. मुश्किल ये रहा कि टीम इंडिया आखिर में ट्रॉफी नहीं उठा पाई, ये वो वर्ल्ड कप था जिस टीम के कप्तान पार्थिव पटेल थे और इरफान पठान जैसे प्लेयर भी यहां थे.

यानी आप सोचिए कि मनविंदर बिस्ला कब से रन बना रहे थे और उन्हें पहचान कहां 2012 के एक फाइनल में जाकर मिली, जो वो शायद खेलने भी नहीं वाले थे. 2002 के बाद से बिस्ला ने सिर्फ घरेलू क्रिकेट ही खेला, कई बार मौका बना कि वो टीम इंडिया तक पहुंचे लेकिन शायद वो गलत वक्त में रेस में थे क्यूंकि तब टीम इंडिया धुरंधरों से भरी हुई थी.

लेकिन एक सच ये भी है कि मनविंदर बिस्ला सिर्फ ऐसी गिनी चुनी पारियां ही खेल पाए, जो आपको याद होंगी. आईपीएल के करियर में उनके नाम सिर्फ 4 फिफ्टी रही और यही वजह भी रही कि उनका सफर ज्यादा लंबा नहीं चल पाया. आईपीएल के बाद भी मनविंदर बिस्ला ने क्रिकेट का साथ नहीं छोड़ा है, वो अभी भी डोमेस्टिक लीग में बीसीसीआई के लिए कमेंट्री करते हैं उनकी क्रिकेट अकादमी भी चल रही हैं.

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