मुज़फ़्फ़रनगर। योगी सरकार में जहां बदमाश अपनी बदमाशी छोड़ सादगी भरा जीवन जीने की गुहार लगा रहा है, वही मुज़फ़्फ़रनगर के कुख्यात बदमाश रहे विक्की त्यागी की पत्नी मीनू त्यागी अम्बेडकरनगर जेल से अपनी जान को ख़तरा बताते हुए जेल अधिकारियों द्वारा मरवाने का आरोप लगा रही है। आज मीनू त्यागी की साँस ने अम्बेडकरनगर ज़िला कारागार की जेल अधीक्षक हर्षिता मिश्रा पर अपनी पुत्र वधू मीनू त्यागी को जेल में ही हत्या करवाने की साज़िश रचने व मानसिक व शारीरिक प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए। वही डीजी जेल से लेकर मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर अपनी पुत्रवधू की जान की सुरक्षा के लिए गुहार लगाई है।
आपको बता दे कि मीनू त्यागी मुज़फ़्फ़रनगर जेल में हत्या के मामले में पिछले 12साल से बंद थी पिछले कुछ महीने पहले मीनू त्यागी का चालान लगाते हुए उसे मुज़फ़्फ़रनगर से 900 किलोमीटर दूर जनपद अम्बेडकरनगर की जेल में ट्रांसफ़र कर दिया था तभी से मीनू त्यागी अम्बेडकरनगर की जेल में बंद है ।
मीनू त्यागी की सास सुप्रभा त्यागी ने अम्बेडकरनगर ज़िला कारागार की जेल अधीक्षक हर्षिता मिश्रा पर आरोप लगाते हुए कहा की यह है जैसे मुन्ना बजरंगी को जेल में मारा गया था ऐसे ही मेरी बहू को मारा जा सकता है उनकी सोच यही है वहां की जेल अधीक्षक हर्षिता मिश्रा कॉन्स्टेबल विजेंद्र द्विवेदी और महिला कांस्टेबल खुशबू मोरिया यह लोग हैं यह लोग मेरी बहू को मारते पीटते हैं और कहते हैं कि हमें ₹50000 दो तो यहां चैन से बैठेगी वरना यहां पर बैठने नहीं देंगे और तुझे मरवा कर यह मैंने अपने फेक्स में भी भेजा है लेकिन उसके बाद भी कोई प्रक्रिया नहीं हुई मेरी बहू को बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है बहुत परेशान किया जा रहा है मीनू त्यागी 12 साल से मुजफ्फरनगर जेल में बंद थी । 5 महीने से अंबेडकरनगर जेल में भेजा गया है मैं यह चाहती हूं कि उसे मुजफ्फरनगर जेल बुलाया जाए या किसी अन्य जेल में भेजा जाए जहां पर वह सुरक्षित रह सके वहां पर भेज दिया जाए वहां पर उसकी हत्या हो सकती है और जिस तरह उसके साथ व्यवहार कर रहे हैं उसके साथ में यह तो जाहिर सी बात है की वैसे ही मर जाएगी क्योंकि उस पर काम नहीं किया जा सकता उस पर उठा बैठा नहीं जाता है उसके दम वैसे ही निकल जाएंगे उन्हें तो बहाना चाहिए उसे मारना चाह रहे हैं मुझे पूरी आशंका है कि वह मेरी बहू को मार सकते हैं अगर मेरी बहू को कुछ हो जाता है इसकी पूरी जिम्मेदारी अंबेडकर नगर जेल अधीक्षक हर्षिता मिश्रा वीरेंद्र द्विवेदी खुशबू मोरिया यह लोग जिम्मेदार होंगे मैंने लखनऊ डीजीपी सबको मैंने फेक्स किया हुआ है मेरी जिला प्रशासन से हाथ जोड़कर विनती है मैं बहुत दुखी हूं मैं बहुत परेशान हूं मेरी बहू को अच्छी जगह भेजा जाए या वापसी मुजफ्फरनगर बुला लिया जाए मेरी बहू ने फोन किया जेल से मुझे फोन किया कि मैं यहां सुरक्षित नहीं हूं मेरी बहू को वहाँ पर बहुत ज्यादा दुखी किया जा रहा है और मैंने कहा फोन से अपने कानों सुनी है इसलिए मैं बोल रही हूं किसी की बताई हुई नहीं सरकारी फोन से मेरी बहू ने मुझे फोन किया वहां जेल से और मुझे बताया है।
वही मीनू त्यागी के वकील दुष्यंत त्यागी ने बताया कि हमारी क्लाइंट है, मीनू त्यागी उर्फ़ बंदना इसके खिलाफ एक मुकदमा यहां पर गैंगस्टर का चल रहा है तो उसमें विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस प्रशासन ने आपस में मिलकर उसे अंबेडकरनगर जेल भेज दिया गया इनकी क्या योजना रही होगी यह मैं नहीं कह सकता नहीं तो माननीय उच्च न्यायालय का आदेश यह था कि इसे यही जेल में रखा जाए हम ने अदालत में एप्लीकेशन दी हम उन्होंने अपने प्रभाव से उस एप्लीकेशन को खारिज करा दिया एक एप्लीकेशन हाई कोर्ट में पेंडिंग भी है लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपने मनमानी की उसे अंबेडकर नगर जेल में शिफ्ट कर दिया जबकि वह बहुत बीमार है उसकी रीढ़ की हड्डी में प्रॉब्लम है रीड की हड्डी में बहुत ज्यादा दिक्कत हुई है, उनसे खड़ा भी नहीं हो या जा सकता और वहां से जाने के बाद से फोन से लगातार हमें पता चल रहा है जब उसे भी उनके लोग वहां अंबेडकर नगर जेल जाकर उनसे मुलाकात करते हैं कि वहां पर जेल प्रशासन द्वारा उसे प्रताड़ित किया जा रहा है बहुत ज्यादा मानसिक रूप से भी शारीरिक रूप से भी और अभी पिछले समय भी यह बताया कि उससे लगातार शारीरिक श्रम करा रहे हैं बीमार अवस्था में भी खाना नहीं देते हैं समय पर और यहां तक की बात कही गई जेल के अंदर तेरी हत्या करा देंगे हम यह नहीं समझ पा रहे कि प्रशासन का इसमें क्या मामला जेल प्रशासन का है वह किस से प्रभावित हैं या इससे महिला को क्या नुकसान पहुंचाना चाह रहे हैं प्रतीत तो यह होता है उनकी बातों से की गंभीर नुकसान का इरादा जिला जेल प्रशासन करे हुए हैं और अब इस संबंध में हमें जानकारी हुई जब उन्होंने यहां पर पैरोंकारी की तो हमने इसमें एप्लीकेशन सभी अधिकारियों को दी राष्ट्रीय महिला आयोग में दी मानवाधिकार आयोग में थी पुलिस के बड़े अधिकारियों को दी डीजी जेल को भी एप्लीकेशन दी कल हमने सब जगह मेल भी किए हुए हैं लेकिन अभी तक तो कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है और यह लोग जब उनसे मिलने गए मुलाकात की उन्होंने इन्हें जेल के फोन से भी बताया रो-रोकर कि यह मेरी हत्या करा सकते हैं मुझे मानसिक शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं मुझसे शारीरिक श्रम करा रहे हैं और जबकि में गंभीर रूप से बीमार हैं उसकी बीमारी का इलाज नहीं कराया जा रहा है जब की यहां पर जेल में रहते हुए 4 बार तो लखनऊ के केजेएल गई एम्स में उसका इलाज हुआ ऋषिकेश इलाज के लिए गई मेरठ मेडिकल गई सभी पेपर्स फाइल में और हमने इस संबंध में अवगत भी कराया है एप्लीकेशन देते हुए जेल प्रशासन को और अदालत को लेकिन उसके बावजूद भी ट्रीटमेंट भी नहीं मिल रहा है लगता है कि वह कितने दिन जिंदा रहेगी यह क्या परिस्थिति उसके साथ में कह नहीं सकते।