म्यांमार: आंग सान सू के उत्पीड़न पर भारत ने जताया अफ़सोस

नोबेल विजेता और म्यांमार की नागरिक आंग सान सू (Aung San Suu Kyi ) को जेल होने पर भारत सरकार ने निराशा जताई है। सरकार ने कहा कि हम हाल के फैसलों से परेशान हैं। एक पड़ोसी लोकतंत्र के रूप में, भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन का लगातार समर्थन करता रहा है। हम मानते हैं कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए। सोमवार को म्यांमार की एक अदालत ने सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोविड नियमों के उल्लंघन के मामले में उन्हें सजा सुनाई। सैन्य तख्तापलट ने उनकी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की सरकार को अपना पांच साल का दूसरा कार्यकाल शुरू करने से रोक दिया था। उनके विरुद्ध एक अन्य मामले में फैसला अगले सप्ताह आ सकता है। 

सू का संघर्ष
सू की ने लोकतंत्र के लिए अपने लंबे संघर्ष में 1989 से शुरू करते हुए अब तक 15 साल तक नजरबंदी में बिताए हैं। उनपर लोगों को उकसाने का मामला, पार्टी के फेसबुक पेज पर पोस्ट बयान से जुड़ा हुआ है। जबकि कोरोना वायरस प्रतिबंध उल्लंघन का आरोप पिछले साल नवंबर में चुनाव से पहले एक अभियान में उनकी मौजूदगी से जुड़ा था। 

म्यांमार में विरोध
सजा के ऐलान के बाद लोगों ने इस फैसले के खिलाफ विरोध भी जाहिर किया। वहीं म्यांमार में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की एक पूर्व विशेष अधिकारी ने आरोपों के साथ-साथ फैसले को गलत बताया। उधर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे म्यांमार में स्वतंत्रता का दम घोंटने के लिए सेना के मकसद का ताजा उदाहरण बताया है।

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