विधानसभा चुनाव से ठीक छह महीने पहले जगत प्रकाश नड्डा की सक्रियता ने हिमाचल भाजपा में नए प्राण फूंक दिए हैं। अपने गृह राज्य में देश के ताकतवर सत्तारूढ़ दल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा यूं ही रुचि नहीं ले रहे हैं, उनकी इन चुनाव से प्रतिष्ठा जुड़ी है। वह यहां भविष्य की सियासत की नई पृष्ठभूमि भी रच रहे हैं, जिसके कई सियासी मायने हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विजय पताका लहराकर आए नड्डा यहां चूकना नहीं चाहेंगे। इसीलिए वह पंद्रह दिन के भीतर दूसरी बार हिमाचल आ रहे हैं।
शिमला के बाद अब 22 अप्रैल को कांगड़ा में नड्डा का दूसरा रोड शो होने जा रहा है, जो केजरीवाल के कांगड़ा में ही प्रस्तावित 23 अप्रैल के रोड शो से पहले होगा। हिमाचल विश्वविद्यालय में एबीवीपी से छात्र राजनीति के रास्ते भाजपा का दामन थामने वाले नड्डा ने बड़ा मुकाम हासिल किया है। वह पिछली धूमल सरकार में मंत्री रह चुके हैं, मगर यहां के तत्कालीनखांचे में खुद को ढालने के बजाय वह मंत्री पद छोड़कर दिल्ली चले गए। वह मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने। विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल के चुनाव हारने के बाद उनका नाम यहां के नए मुख्यमंत्री के रूप में भी उछला।
पर केंद्रीय नेतृत्व ने जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया, जिसके नड्डा भी अभिन्न भाग थे। नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो वह जयराम को सीख-सलाह के साथ अभयदान भी देते आए हैं। नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच नड्डा ने दस दिन पहले शिमला में दो टूक कहा कि न तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बदलेंगे और न ही उनका मंत्रिमंडल बदलेगा। जयराम के नेतृत्व में ही अगले चुनाव होंगे। इससे उनकी अगली सियासत का रुख भी लगभग साफ हो गया है।