नुपुर शर्मा की हत्या की साजिश में था नदीम, पूछताछ में कुबूले कई बड़े राज

सहारनपुर। जैश-ए-मोहम्मद और तहरीक-ए-तालीबान के आतंकियों से जुड़े नदीम के संपर्क में देशभर में कई संदिग्ध युवा भी संपर्क में रहे हैं, इनमें एटीएस और अन्य खुफिया एजेंसियों की जांच के दायरे में 12 ऐसे संदिग्ध हैं, जिन्हें नदीम की देश विरोधी गतिविधियों की जानकारी थी, इसके बाद भी ये उससे जुड़े रहे और उसकी खुराफात को छिपाए रहे। आतंकी संगठनों के नदीम को फंडिंग करने की बात भी सामने आ रही है। 

नदीम को पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा की हत्या का टास्क दिया गया था। नदीम के मोबाइल फोन में मिली चैट के आधार पर पता चला है कि नदीम वर्ष 2018 से आतंकियों के संपर्क में था और वह लगातार उनसे बातें करता था। सोशल मीडिया पर 30 से अधिक एकाउंट बनाए गए थे, जिनके जरिए वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकियों से बात करता था। पीडीएफ फाइल में आतंकी संगठनों के आकाओं ने नदीम से यह भी कहा है कि युवाओं को संगठन से जोड़े। उनको विश्वास में लेकर अपने साथ लगाए।

इसके बाद उनको भी फिदायीन हमले के लिए तैयार किया जाएगा। जांच में सामने आया है कि नदीम को आतंकी संगठनों की ओर से फंडिंग भी गई है, जिसकी जांच एटीएस कर रही है। सूत्र बताते हैं कि नदीम के बैंक खातों को भी जांच भी एटीएस कर रही है।

70 पेज की पीडीएफ फाइल में बताया आतंक फैलाने का तरीका
जैश-ए-मुहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान के संपर्क में रहे मोहम्मद नदीम के फोन से बरामद हुई 70 पेज की पीडीएफ फाइल में आतंक फैलाने का तरीका बताया गया है। इस पीडीएफ फाइल में बारूद इक्कठा करने से लेकर फिदायीन हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

एटीएस के हाथ ऐसे कई अहम सुराग लगे हैं, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। कोतवाली गंगोह क्षेत्र के गांव कुंडाकला निवासी नदीम को आतंकियों ने पीडीएफ फाइल भेजकर कहा था कि वह पीडीएफ फाइल में दिए गए निर्देशों को पूरा करे। इसके बाद वह फिदायीन हमले के लिए तैयार हो जाएगा और उसे पाकिस्तान बुलाकर विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी। उसे यह भी बताया जाएगा कि किन-किन जगहों पर कैसे हमले करने हैं। फिलहाल नुपुर शर्मा की हत्या का टॉस्क नदीम को आतंकी संगठनों के आकाओं ने दिया था।

आतंक फैलाना था मकसद
नदीम का मकसद देश में आतंक फैलाना था। वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकियों के इशारे पर ही काम कर रहा था। बीते चार सालों से वह देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त था, लेकिन इसकी भनक उसने अपने गांव में रहने वाले साथियों तक को नहीं लगने दी। एटीएस ने उसके भाई तैमूर को भी शक के आधार पर हिरासत में लिया था, लेकिन उसे बाद में छोड़ दिया गया।

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