Navy नाविक को चेन्नई से अगवा कर महाराष्ट्र में जिंदा जलाया, पिता ने लगाई इंसाफ की गुहार

चेन्नई से 30 जनवरी को किडनैप किए गए नौसेना के 26 साल के नाविक को अपहरणकर्ताओं ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में जिंदा जला दिया और बाद में अस्पताल ले जाने के दौरान उनकी मौत हो गई।  पालघर के एसपी दत्तात्रय शिंदे ने बताया कि नौसेना नाविक की पहचान सूरज कुमार दुबे (27) के रूप में हुई है। वो झारखंड के रांची के निवासी थे। तीन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू की गई है। वहीं सूरज के पिता ने इंसाफ की गुहार लगाई है। 

जिला पुलिस ने शनिवार को बताया कि नाविक सूरज कुमार दुबे की शुक्रवार को मुंबई के अस्पताल में शिफ्ट करने के दौरान मौत हो गई। पालघर पुलिस के प्रवक्ता सचिन नवाडकर ने बताया कि दुबे रांची के रहने वाले थे और कोयंबटूर में आई एन एस अग्रणी पर तैनात थे। 

30 जनवरी को छुट्टी से लौट रहे थे दुबे
प्रारंभिक जांच के अनुसार दुबे 30 जनवरी को छुट्टी से लौट रहे थे, तभी चेन्नई हवाई अड्डे के बाहर रात करीब 9:00 बजे तीन लोगों ने बंदूक के दम पर उन को किडनैप कर लिया और 10 लाख रुपये की फिरौती मांगी। दुबे को चेन्नई में 3 दिन बंधक बनाकर रखा गया। बाद में उन्हें महाराष्ट्र के पालघर जिले के तलासारी इलाके के वेवजी में लाया गया।

यह जगह मुंबई के नजदीक और चेन्नई से 1400 किलोमीटर दूरी पर है। पुलिस ने बताया कि शुक्रवार की सुबह अपहरणकर्ताओं ने दुबे के हाथ और पैर बांधे और घोलवाड़ के जंगलों में उन्हें जिंदा जलाकर मरने के लिए छोड़ कर फरार हो गए। यहां पर किसी तरह दूबे स्थानीय लोगों तक पहुंचे। इस दौरान वो 90 प्रतिशत तक जल चुके थे। 

पिता ने लगाई न्याय की गुहार
स्थानीय नागरिकों ने उनकी मदद की और उन्हें धहानू प्राथमिक  स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। 90 फीसदी तक उनका शरीर जल चुका था। ऐसे में उन्हें मुंबई के नेवी हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया जा रहा था, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। मरने से पहले उन्होंने अपने अपरहरण से लेकर उनको जिंदा जलाने तक की पूरी घटना के बारे में पुलिस को जानकारी दे दी। अब उनके पिता ने पुलिस से इंसाफ की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि मुझे अपने बेटे के लिए न्याय चाहिए। यही संदेश मैं मीडिया के माध्यम से देना चाहता हूं। मेरे बेटे ने मरने से पहले बयान दिया कि उन्हें 3 दिनों के लिए अपहरण कर लिया गया था, फिरौती की वस्तु बना दिया गया था। फिर उसे पालघर लाया गया और उसे जला दिया गया।

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