पवार के घर पर बैठक को लेकर NCP की सफाई, कहा- मीटिंग बीजेपी के खिलाफ मोर्चा तैयार करने के लिए नहीं बुलाई गई

उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है. एनसीपी चीफ शरद पवार और टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में तमाम दलों की दिल्ली में बैठक बुलाई गई थी. करीब ढ़ाई घंटे तक चली इस बैठक में आम आदमी पार्टी, एनसीपी, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और अन्य दल शामिल थे.

कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं हुई, जिसके बाद कहा जा रहा था कि, कांग्रेस पार्टी को पवार की बुलाई गई इस बैठक से बाहर रखा गया है. जिसे लेकर अब एनसीपी नेता माजीद मेमन ने सफाई देते हुए बताया कि कांग्रेस नेताओं को उन्होंने खुद न्योता दिया था.

कांग्रेस को नहीं किया गया बायकॉट- मेमन

माजीद मेमन ने कहा कि बैठक में कांग्रेस का बहिष्कार नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि ये बैठक देश के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक माहौल को बेहतर करने के लिए बुलाई गई थी. मेमन ने कहा,

“राष्ट्र मंच के चीफ यशवंत सिन्हा ने ये बैठक बुलाई थी. इसमें राष्ट्र मंच के सभी सदस्यों की मदद ली गई थी. बैठक को लेकर ये कहा जा रहा था कि पवार साहब एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाने जा रहे हैं और कांग्रेस को बायकॉट कर दिया गया है. ये बिल्कुल गलत है. कोई राजनीतिक बहिष्कार नहीं किया गया. इस बैठक में राष्ट्र मंच की विचारधारा को मानने वाले नेताओं को बुलाया गया था. जिसमें कोई भी आ सकता है. कोई राजनीतिक भेदभाव नहीं है. रही बात कांग्रेस की तो मैंने व्यक्तिगत तौर पर कांग्रेस नेताओं को न्योता दिया था.”

यानी कांग्रेस को किनारे लगाने को लेकर जो तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, उन्हें लेकर एनसीपी की तरफ से सफाई दी गई. एनसीपी नेता मेमन ने आगे बताया कि बैठक में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, विवेक तन्हा, अभिषेक मनु सिंघवी और शत्रुघन सिन्हा को बुलाया गया था. जिनमें से कुछ लोगों ने किन्हीं कारणों से आने में असमर्थता जताई. तो कुल मिलाकर ये कयास बिल्कुल गलत है कि कांग्रेस को दरकिनार कर एक बड़ा विपक्षी मोर्चा बनाया जा रहा है.

हालांकि कांग्रेस नेताओं की इस बैठक से दूरी को लेकर अब भी सवाल खड़े हो रहे हैं. सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि इस बैठक से शिवसेना और बीएसपी भी नदारद रहे. जिनकी तरफ से अब तक कुछ भी सफाई नहीं दी गई है.

बैठक के बाद टीएमसी नेता और शरद पवार के साथ इस बैठक का नेतृत्व करने वाले यशवंत सिन्हा ने कहा कि, करीब 2.5 घंटे तक ये बैठक चली. जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई.

बैठक खत्म होने के बाद समाजवादी पार्टी प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने कहा कि, तमाम लोगों ने जो बातें रखी हैं, वो किसी एक नेता या फिर पार्टी पर केंद्रित नहीं हैं. वो इस विषय पर है कि इस देश को एक विकल्प चाहिए. कैसे सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी आम लोगों के मुद्दों को सामने रख सकते हैं.

सरकार से जनता की नाराजगी, विपक्ष तलाश रहा मौका

देश में पिछले करीब डेढ़ साल से कोरोना महामारी का कहर जारी है. पहले जहां अचानक लॉकडाउन लगाने के बाद लाखों प्रवासी मजदूरों की मजबूरी और लाचारी से सरकार की जमकर आलोचना हुई थी, वहीं दूसरी लहर में कोरोना ने पूरे हेल्थ सिस्टम की पोल खोलकर रख दी. कोरोना प्रबंधन को लेकर जनता की नाराजगी को लेकर विपक्षी दल भी बीजेपी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. इसीलिए शरद पवार और यशवंत सिन्हा की इस बैठक के बाद तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं. बताया जा रहा है कि बीजेपी के खिलाफ तमाम दलों की लामबंदी की शुरुआत है. इसके तहत आगे भी कुछ ऐसी ही बैठकें देखने को मिल सकती हैं.

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