1938 में कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर हिसार आए नेताजी सुभाष चंद्र बोस

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर हरियाणा के हिसार आए नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लोगों ने आदर व सम्मान के साथ राष्ट्रपति कहकर सम्मान दिया था। नेताजी जिंदाबाद के नारे लगाए थे। सुभाष चंद्र बोस 1938 में अकाल पड़ने पर यहां के लोगों के हालात जानने के लिए आए थे। हिसार में कई जगह तोरण द्वार लगाकर उनका स्वागत किया गया था।  

सुभाष चंद्र बोस 1938 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उस समय अकाल पड़ गया था। लोगों को खाने का संकट आ गया था। पशुओं के लिए चारा तक नहीं मिल पा रहा था। सरकार की ओर से लोगों की मदद नहीं की जा रही थी। जिस पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए सुभाष चंद्र बोस हिसार पहुंचे थे। 27 नवंबर 1938 की सुबह करीब दस बजे बोस लुधियाना से ट्रेन में सवार होकर हिसार पहुंचे।

जाट कॉलेज के सामने स्थित गोपीचंद भार्गव के आवास पर जलपान ग्रहण किया। दोपहर 12.15 पर कटला रामलीला मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करने के लिए रवाना हुए। उत्साही लोगों ने शहर में कई जगह तोरण द्वार लगाकर उनका फूल मालाओं से स्वागत किया। करीब एक बजे जनसभा में पहुंचे। तीन घंटे तक जनसभा चली थी। जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में प्रेरित किया। 

इस सभा की अध्यक्षता पंडित नेकीराम शर्मा ने की थी। साहित्यकार विष्णु प्रभाकर ने स्वागत भाषण पढ़ा था। बलवंत राय तायल स्वागत समिति के मुखिया थे। इस सभा में आयोजकों तथा लोगों ने सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रपति कहकर उनका सम्मान किया था। सुभाष चंद्र बोस धोती-कुर्ता पहनकर आए थे। उनके सिर पर टोपी थी।

जनसभा के बाद सुभाष चंद्र बोस किसानों के हालात जानने लिए धांसू और जुगलान गांव गए थे। जहां किसानों से खेती के बारे में बातचीत की। अकाल के कारण पशुओं की मौत के बारे में जानकारी ली थी। इसके बाद हिसार लौटकर गोपीचंद भार्गव के आवास पर रात को रुके।

28 नवंबर 1938 को सुभाष चंद्र बोस हिसार से रोहतक के लिए रवाना हुए। रास्ते में उन्होंने गांव सातरोड़ में लाला हरदेव सहाय के स्कूल का मुआयना किया। उस समय लाला हरदेव सहाय के इस क्षेत्र में 76 स्कूल चलते थे। सातरोड़ के स्कूल में शिल्पशाला चलाई जा रही थी। जहां लोगों को हाथ के हुनर का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। सुभाष चंद्र बोस ने इस स्कूल की विजिटर बुक में अपना कमेंट भी लिखा था। 

गोपीचंद भार्गव की गाड़ी से गए …

उस समय रोहतक जाने के लिए ट्रेन की कोई सुविधा नहीं थी। हिसार से रेवाड़ी के लिए ट्रेन की लाइन होती थी। सुभाष चंद्र बोस को रोहतक तक पहुंचाने के लिए गोपीचंद भार्गव ने अपनी गाड़ी भेजी थी।मैंने अपनी पुस्तक हिसार-ए-फिरोजा में सुभाष चंद्र बोस के हिसार आगमन का वर्णन किया है। सुभाष चंद्र कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर यहां आए थे। आजादी से पहले कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर आने वाले वह एकमात्र अध्यक्ष थे। वह 27 नवंबर 1938 को आए थे। 28 नवंबर को रोहतक के लिए रवाना हुए थे।-डॉ. महेंद्र कुमार, इतिहासकार 
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के निजी सहायक भलेराम हिसार के बरवाला के गांव हसनगढ़ के निवासी थे। भलेराम सुभाषचंद्र बोस के साथ कई देशों में गए। 16 जून 1945 को उन्हें गिरफ्तार कर रंगून जेल में डाल दिया गया था। भारत आजाद होने के बाद उन्हें रिहाकर कर भारत भेजा गया। 99 वर्ष की आयु में भलेराम कोहाड़ की वर्ष 2019 में मौत हो गई थी।

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