निफ्टी करेगा 16000 पार या धाराशायी होगा शेयर बाजार, जानें क्या कहते हैं मार्केट एनॉलिस्ट और आरबीआई

शेयर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में निफ्टी 16 हजार के स्तर को पार कर सकता है और इसमें बहुत बड़ा योगदान बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों का होगा। वहीं सेंसेक्स एक बार फिर नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है। इसके उलट आरबीआई ने कहा है कि 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आठ फीसद की गिरावट के अनुमान के बावजूद घरेलू शेयर बाजारों में जोरदार बढ़त से ‘बुलबुले का जोखिम पैदा हो गया है। बता दें शुक्रवार को एनएसई का निफ्टी नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। निफ्टी 97.80 अंकों की बढ़त के साथ 15,435.65 अंक के अपने नए रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ। वहीं बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 307.66 अंक चढ़कर 51,422.88 अंक पर बंद हुआ। 

रघुराम राजन और कुमार मंगलम बिड़ला भी जता चुके हैं आशंका

रिजर्व बैंक की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में शेयर के दाम रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं। बेंचमार्क सूचकांक 21 जनवरी, 2021 को 50,000 अंक के स्तर को पार करता हुआ 15 फरवरी को 52,154 अंक की ऊंचाई पर पहुंच गया। बाजार सूचकांक का यह स्तर देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (23 मार्च, 2020) के दौरान आई गिरावट की तुलना में 100.7 प्रतिशत ऊंचा है। वहीं 2020-21 में सेंसेक्स में करीब 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और दिग्गज उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला शेयर बाजार की तेजी पर आशंका जता चुके हैं।

क्या कहते हैं बाजार विशेषज्ञ

रिलायंस सिक्योरिटी के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना और कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजे अच्छे रहने से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई है। इससे स्थानीय बाजार नई ऊंचाई पर पहुंच गए है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में तेजी से बाजार को ताकत मिली। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा अब कोविड-19 संक्रमण के नए मामले दो लाख प्रतिदिन से नीचे आ गए हैं और रिकवरी की दर में भी सुधार हुआ है, जिससे निवेशकों की धारणा मजबूत हुई है। रिजर्व बैंक ने कहा कि शेयर बाजार मुख्य तौर पर मुद्रा प्रसार और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) निवेश से चलते हैं। इसके साथ ही आर्थिक संभावनायें भी शेयर बाजार की चाल में योगदान करती हैं लेकिन इनका असर मुद्रा आपूर्ति और एफपीआई के मुकाबले कम दिखता है।

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