मुजफ्फरनगर पुलिस ने कुख्यात संजीव जीवा गैंग पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ब्रहमदत्त द्विवेदी हत्याकांड में जीवा उम्रकैद काट रहा है, लेकिन उसकी कमर तोड़ने के लिए पुलिस उसके गुर्गों को दबोच रही है। यूपी सरकार की 65 अपराधियों की लिस्ट में जीवा का नाम आने के बाद से उसके गैंग पर खतरा मंडराने लगा था। 2022 के मुकदमे में चार्जशीट जमा होते ही पुलिस ने रात में ही जीवा और उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी सहित गैंग के 9 सदस्यों पर गैंगस्टर में मुकदमा दर्ज कर 4 आरोपियों को अरेस्ट कर मंगलवार को जेल भेज दिया। एक साल पहले पुलिस और प्रशासन ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए जीवा की 2 करोड़ से अधिक की संपत्ति सील कर कर दी थी।
एक वर्ष पूर्व धोखाधड़ी, बंधक बनाने, रंगदारी मांगने सहित अन्य गंभीर मामलों में कुख्यात संजीव जीवा के साथ सह आरोपी बनाए गए कई नेताओं की भाजपा ज्वाइनिंग के बावजूद अरेस्टिंग हो गई। इनमें सपा छोड़कर आए पार्टी के पूर्व जिला कोषाध्यक्ष सचिन अग्रवाल उर्फ सचिन पटाखा सहित रालोद के युवा नेता रहे और हाल में ही भाजपा ज्वाइन करने वाले शुभम बंसल, पूर्व सभासद प्रवीण कुमार पीटर और अमित माहेश्वरी पुत्र नरेन्द्र माहेश्वरी भी शामिल हैं। सभी आरोपियों पर नई मंडी कोतवाली पुलिस ने सोमवार रात ही गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था।
मुजफ्फरनगर निवासी संजीव माहेश्वरी और उर्फ जीवा लखनऊ जेल में उम्रकैद काट रहा है। जीवा को 1997 में हुए भाजपा नेता ब्रहमदत्त द्विवेदी हत्याकांड में उम्रकैद हुई थी। उस पर कृष्णानंद राय हत्याकांड का भी आरोप लगा था। लेकिन इस मामले में जीवा बरी हो चुका है। जीवा पर जेल से ही गैंग संचालित करने और अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है। गत कुछ वर्षों सें संजीव जीवा पत्नी को सियासत में स्थापित कराने के प्रयास में जुटा था। जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी ने रालोद की सदस्यता ग्रहण कर 2017 में सदर सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था।