एक थे विद्याभूषण !

22 सितंबर: आज विद्याभूषण जी की 90 वीं जयन्ती है। वही विद्याभूषण जो यूपी में कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। जिनकी पूरे उत्तर प्रदेश में धाक थी। उत्तर प्रदेश में विधायक मुख्यमंत्री के नहीं वरन् उनके इर्द-गिर्द घूमते थे। लम्बी बीमारी, बुखार और बढ़े हुए रक्तचाप के बावजूद मैं आज प्रात: 9.30 पर, कमला नेहरू वाटिका (कम्पनीबाग) के द्वार पर स्थित मधुबन रेस्टॉरेंट पहुंचा, जहां बी. बी. गर्ग प्रतिवर्ष विद्याभूषण जी की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित करते हैं। श्री गर्ग के साथ वरिष्ठ नेता उमादत्त शर्मा, सतीश शर्मा, तारिक कुरैशी और दो तीन लोग उपस्थित थे। बीमारी-बुखार के कारण मैं श्री सुमन अर्पित करने के चन्द मिनटों बाद ही लौट आया। हो सकता है मेरे आने के बाद विद्याभूषण जी के कुछ और चाहने वाले भी आये हों।

पिताश्री स्व. राजरुप सिंह वर्मा भी 60 के दशक के ही थे, जान पहिचान और मित्रता थी। जब तक उन्होंने राजनीति में प्रवेश नहीं किया था। एक लम्बे कालखंड के दौरान उनके विषय में जो जाना और पहिचाना, उसको संक्षेप रूप में प्रस्तुत करने की मेरी इच्छा थी किन्तु स्वास्थ इजाजत नहीं दे रहा है। विद्याभूषण जी की पहिचान विकास पुरुष के रूप में भी होती है, उनका व्यक्तित्व विवाद‌ग्रस्त भी रहा किन्तु मुजफ्फरनगर की राजनीति इतिहास उन के बिना अधूरा है। सम्भव होते ही कुछ लिखने की कोशिश करूंगा। 90 वें जन्मदिवस हमारी श्रद्धांजलि और नमन्।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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