विपक्षी सांसदों ने कहा- मणिपुर में स्थिति बहुत गंभीर, सरकार नहीं उठा रही कड़े कदम

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को विपक्षी गठबंधन (I.N.D.I.A) के एक प्रतिनिधिमंडल के मणिपुर के दो दिवसीय दौरे से लौटने के बाद केंद्र और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। चौधरी ने कहा कि राज्य में अनिश्चितता और भय व्याप्त है और केंद्र और राज्य सरकार वहां बहुत गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठा रही है। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (I.N.D.I.A) ने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष को जल्द हल नहीं किया जाता है, तो इससे देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

इससे पहले दिन में विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के 21 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने इंफाल के राजभवन में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मुलाकात की और यात्रा के दौरान अपने अवलोकन से संबंधित राज्य के मौजूदा हालात पर एक ज्ञापन सौंपा। लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष चौधरी ने मणिपुर से लौटने के बाद नई दिल्ली में हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, मणिपुर के लोगों के मन में डर और अनिश्चितता है। मणिपुर में स्थिति बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा, मणिपुर में अनिश्चितता मंडरा रही है। हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। उन्हें नहीं पता कि वे अपने घरों में कब लौटेंगे। खेती ठप हो गई है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि कुकी और मैतेई के बीच विभाजन को कैसे पाटा जाएगा। चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, उनके द्वारा कोई मजबूत कदम नहीं उठाया गया है।

 

गौरतलब है कि मणिपुर मुद्दे ने संसद के मानसून सत्र को हिलाकर रख दिया है और विपक्षी गठबंधन बहस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान देने पर दबाव बना रहा है। जबकि विपक्ष ने अब लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है। वहीं, सरकार ने मणिपुर की स्थिति से निपटने के अपने तरीके का बचाव किया है और इस बात पर जोर दिया है कि वह अतीत की सरकारों की तुलना में अधिक सक्रिय रही है, जब राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी।

हालांकि, विपक्षी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सरकारी मशीनरी मणिपुर जातीय संघर्ष को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “चुप्पी” की आलोचना की। विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर पूर्वोत्तर राज्य में चल रही स्थिति के प्रति “निर्लज्ज उदासीनता” दिखाने का आरोप लगाया। चौधरी ने एक पुरानी कहावत ‘नीरो बांसुरी बजा रहा था, जबकि रोम जल रहा था’ की तर्ज पर कहा कि “सारा मणिपुर जल रहा है और पीएम बांसुरी बजा रहे हैं।”

टीएमसी नेता सुष्मिता देव ने कहा, मुझे लगता है कि मणिपुर के सीएम (एन बीरेन सिंह) पर से विश्वास पूरी तरह खत्म हो गया है। आम लोग और जनता अब मणिपुर के सीएम का समर्थन नहीं कर रहे हैं। मणिपुर के राज्यपाल उइके को सौंपे गए ज्ञापन में दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले विपक्षी सांसदों ने राज्य में शांति और सद्भाव लाने के लिए प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की मांग की।

ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों में लगातार गोलीबारी और घरों में आगजनी की खबरों से यह बिना किसी संदेह के तय हो गया है कि राज्य मशीनरी पिछले लगभग तीन महीनों से स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है।

इस प्रतिनिधिमंडल में अधीर रंजन चौधरी और लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पीपी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन और वीसीके से टी तिरुमावलावन एवं डी रविकुमार शामिल रहे।

जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एए रहीम, सपा के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सांवत भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई सौ लोग घायल हो गए हैं। पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

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