पाकिस्तान जाने वाले प्रदेश के नदी-नालों को पाकिस्तान ने अपना एरियल टेरर रूट बना लिया है। सांबा की बसंतर नदी, अखनूर का चिनाब दरिया हो या फिर जम्मू की सूर्यपुत्री तवी नदी, तीनों को ही पाकिस्तान इस समय ड्रोन के रूट के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इन नदी नालों के ऊपर से पाकिस्तान ड्रोन के जरिये हथियार भेज रहा है। नारको तस्करी इन रूट से ही हो रही है। यहां तक कि जम्मू के वायुसेना स्टेशन पर हुआ आतंकी ड्रोन हमला भी तवी नदी के रूट से करवाया गया था।
पाकिस्तान में जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों से कई नदियां, नालों और तवी का पानी जाता है। इनकी चौड़ाई 100 से 300 मीटर तक है। चिनाब दरिया, सूर्यपुत्री तवी नदी, सांबा की बसंतर, कठुआ के उज्ज दरिया आदि का रुख पाकिस्तान की तरफ है। एक समय पाकिस्तान इन नदी-नालों और दरियाओं के जरिये घुसपैठ करवाता था, लेकिन अब इस पर रोक लग गई तो इन रूट पर ड्रोन का इस्तेमाल करने लगा। यहां तक कि अखनूर के चिनाब दरिया में बीएसएफ को पानी के बीच नाव के जरिये गश्त तक शुरू करनी पड़ी।
26 जून को पाकिस्तान ने मकवाल बॉर्डर जम्मू की तवी नदी रूट का इस्तेमाल किया। दो ड्रोन तवी के ऊपर से भेजे गए। दोनों ड्रोन ने वायुसेना स्टेशन पर हमला किया। 22 जुलाई को अखनूर के चिनाब दरिया के ऊपर से उड़कर आया ड्रोन मार गिराया गया।
इस ड्रोन से 6.1 किलो आईईडी बरामद की गई। अब ताजा मामला मकवाल बॉर्डर का है। इस रूट से पहले ड्रोन के जरिये वायुसेना स्टेशन पर हमला करवाया गया। अब एक राइफल भेजकर सिलेक्टिव किलिंग कराने के लिए राइफल भेजी गई।
नदी के ऊपर ड्रोन की आवाज नहीं आती
एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि क्योंकि दरिया, तवी और नदी की चौड़ाई काफी अधिक होती है। रात के समय यदि इनके ऊपर से ड्रोन आए भी तो उसकी आवाज नहीं सुनाई देती। साथ ही पाकिस्तान बिना ब्लिंक करने वाले और जीपीए वाले ड्रोन इस्तेमाल करता है। इसलिए उसे इनके ऊपर से ड्रोन भेजने में कोई दिक्कत नहीं होती।