पटाखे बैन पर दिल्ली सरकार के आदेश के खिलाफ एससी में याचिका

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए’ सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, विक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के आदेश के खिलाफ भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।सांसद ने तर्क दिया कि जीवन के अधिकार का बहाना देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता को नहीं छीना जा सकता। उन्होंने कोर्ट से दिल्ली सरकार को स्वीकृत पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी करने का आदेश देने की मांग की है।अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से याचिका दायर करते हुए भाजपा सांसद ने कोर्ट से सभी राज्यों को यह निर्देश देने का आग्रह किया कि वे आगामी त्योहारी सीजन में स्वीकृत पटाखे मिलने पर किसी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज करने या अन्य कानूनी कार्रवाई ना करें। शीर्ष अदालत ने पिछले साल कहा था कि पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और सिर्फ बेरियम साल्ट मिले पटाखों पर ही प्रतिबंध है।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका

पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है। अदालत ने मामले की सुनवाई सात अक्टूबर तय की है।डीपीसीसी ने 14 सितंबर को एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि 1 जनवरी, 2023 तक सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री (ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिलीवरी सहित) और सभी प्रकार के पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।ग्रीन पटाखों की बिक्री, खरीद और भंडारण में शामिल शिव फायर वर्क्स सहित दो फर्मों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि डीपीसीसी के निर्देश न्यायिक आदेशों के विपरीत हैं क्योंकि यहां तक कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी स्पष्ट रूप से उन क्षेत्रों में पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी है जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम है।याचिका में कहा गया है कि नई दिल्ली में हवा की गुणवत्ता कम से कम 15 अगस्त 2022 के बाद से मध्यम या बेहतर रही है। इस दृष्टि से यहां तक कि ग्रीन पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का कोई आधार नहीं है।अधिवक्ता अमन बंसल के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तेलंगाना और कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेशों को रद्द कर दिया है, जिसने सभी पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। यह तर्क दिया गया था कि दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में अस्थायी पटाखों के लाइसेंस देने के लिए एक विज्ञापन जारी किया था और इस विज्ञापन के साथ-साथ समय-समय पर पारित अदालती आदेशों के आधार पर याचिकाकर्ताओं ने अन्य विक्रेताओं के साथ ग्रीन पटाखों का स्टॉक किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here