शहडोल में कोदो भात-कुटकी खीर खा पूरे विंध्य को साधेंगे पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2023 में पांचवीं बार मध्यप्रदेश के दौरे पर हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री शहडोल जिले में रहेंगे। इस दौरान वे गांव के आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ संवाद करेंगे। साथ ही समुदाय के लोगों के साथ भोजन भी करेंगे। प्रधानमंत्री शहडोल जिले में स्थानीय जनजातीय, संस्कृति एवं परंपराओं से अवगत होंगे। ऐसा पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री देसी अंदाज में जनजातीय समुदाय के साथ कोदो भात-कुटकी खीर ग्रहण करेंगे। इस आदिवासी क्षेत्र से पीएम देशव्यापी सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। भाजपा पीएम के इस कार्यक्रम के जरिए आदिवासी मतदाताओं को साधने के साथ ही पूरे विंध्य को साधने की कोशिश में जुटी हुई है।

पीएम के दौरे से विंध्य को साधने की तैयारी
विंध्य क्षेत्र के समीकरण के हिसाब से पीएम मोदी का यह दौरा बेहद है। पिछले चुनाव में भाजपा को भले ही इस क्षेत्र से 30 में से 24 सीट पर जीत मिली थी। लेकिन हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी को इस क्षेत्र से करारा झटका लगा है। इसके अलावा प्रदेश की भाजपा सरकार में यहां से प्रतिनिधित्व भी नहीं है। इस पूरे इलाके से केवल गिरीश गौतम विधानसभा अध्यक्ष बने, लेकिन वे भी पार्टी का चेहरा नहीं बन पाए। स्थानीय लोगों की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण भी यह है कि पिछले चुनाव में विंध्य ने भाजपा को पूरा सपोर्ट किया था। लेकिन पार्टी ने किसी भी नेता को आगे नहीं बढ़ाया। 

शहडोल पर फोकस
विंध्य की राजनीति के हिसाब से देखें तो मोदी दो महीने में दूसरी बार इस इलाके में आ रहे है। पीएम के इस दौरे से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शहडोल का दौरा कर चुकी हैं। दरअसल, भाजपा का 2023 के चुनाव में सबसे ज्यादा जोर आदिवासी और जनजातीय समाज के वोटों पर है। प्रदेश की शिवराज सरकार ने आदिवासियों को साधने के लिए ही पेसा एक्ट को जोर.शोर से लागू किया हैं। प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी लगातार आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश कर है लेकिन आदिवासी बीजेपी पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। संघ और सरकार को लगातार प्रतिक्रिया मिल रही है कि आदिवासी समुदाय सरकार से खुश नहीं है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर इस वर्ग के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है, लेकिन चुनाव से पहले इसका कोई खासा असर नजर नहीं आ रहा है। 

भाजपा को झेलनी पड़ सकती है नाराजगी
विंध्य, मध्यप्रदेश एकमात्र वह इलाका है, जहां से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी। यहां की 30 में से 24 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा है। इससे पहले 2013 में बीजेपी 17 सीटों पर आकर सिमट गई थी। हालांकि 2008 के चुनाव में बीजेपी को यहां से 24 स्थानों पर जीत मिली थी। इसलिए इस बार पार्टी का पूरा फोकस विंध्य पर है। भाजपा इस क्षेत्र में  पिछले चुनाव के नतीजों को दोहराना चाहती है। मगर इस बार पार्टी को राह आसान नजर नहीं आ रही है। पार्टी के अंदरुनी सर्वे में भी सामने आया है कि इस क्षेत्र में भाजपा की पकड़ कमजोर हो रही है। इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार इस क्षेत्र का दौरा कर रहे है। बीजेपी की कोशिश इस इलाके के आदिवासियों के साथ-साथ पिछड़े वर्ग को लुभाने की है। 

2018 के बाद 2023 में फिर शहडोल आ रहे मोदी
2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान 16 नवंबर को मोदी शहडोल के लालपुर मैदान पर जनसभा को संबोधित करने आए थे। जबकि 18 नवंबर को  अमित शाह ने  सिंगरौली, उमरिया, चुरहट और देवतालाब में सभा की थी। प्रदेश पिछले चुनाव में मोदी-शाह के दौरे का विंध्य में सकारात्मक प्रभाव पड़ा था।  भाजपा ने 24 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटों से संतोष करना पड़ा था। विंध्य के 7 जिले में सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर में विधानसभा की 30 सीटें आती हैं। कांग्रेस की जीत वाली 6 सीटों में 3 अनूपपुर जिले की कोतमा, पुष्पराजगढ़ और अनूपपुर थीं। उप चुनाव में अनूपपुर सीट बीजेपी ने जीत ली थी।

इसलिए शहडोल के इस गांव का हुआ है चयन
विंध्य का शहडोल संभाग आदिवासी बाहुल्य इलाका है। संभाग की 8 विधानसभा सीटों में सिर्फ 1 सीट कोतमा सामान्य है बाकी सभी 7 सीटें रिजर्व हैं। इसको ध्यान में रखते हुए 27 जून का को पीएम मोदी का जो दौरा कार्यक्रम बनाया गया है, उसमें जनजातीय समुदाय को खास तवज्जो दी गई है। पीएम मोदी लालपुर से 6 किलोमीटर दूर पकरिया गांव पहुचेंगे। वहां एक जनजातीय समुदाय के साथ संवाद करेंगे इतना ही नहीं उनके साथ बैठकर उनका पारंपरिक भोजन भी ग्रहण करेंगे। पीएम लगभग 1 घंटे से ज्यादा समय जनजातीय समुदाय के बीच बिताएंगे।  

राहुल गांधी ने भी आदिवासी बेल्ट पर किया था फोकस
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में प्रदेश के आदिवासी इलाकों का ध्यान रखा गया था। बुरहानपुर, खरगोन, खंडवा और बड़वानी जैसे आदिवासी जिलों में राहुल गांधी का जबरदस्त प्रभाव नजर आया। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 109 और कांग्रेस ने 114 सीट जीती थीं। हार-जीत का अंतर इतना मामूली था कि यदि आदिवासी मतदाता बीजेपी से नहीं छिटकता तो उसकी सरकार बननी तय थी। इसलिए भाजपा 2023 में आदिवासी मतदाताओं की अहमियम समझ रही है। इसलिए पार्टी आए दिन आदिवासी क्षेत्र में कोई न कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। वहीं प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी आदिवासियों के लिए कई योजनाएं शुरू की है।

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