बिजली के दाम पर दौड़ा सियासी करंट, भाजपा ने खोला मोर्चा

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बिजली के दाम में बढ़ोतरी को तुगलकी फैसला करार दिया है। शुक्रवार को भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में प्रेसवार्ता में कौशिक ने कहा कि इस जनविरोधी फैसले के खिलाफ भाजपा 17 अगस्त को पूरे प्रदेश में कंडील यात्रा निकालेगी। इसके साथ ही बिजली विभाग के कार्यालय में प्रदर्शन किया जाएगा। कौशिक ने कहा कि सबको अंधेरे में रख कर आखिरकार किस उजाले की बात प्रदेश की सरकार करती है, वह समझ से परे है।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक और प्रदेश प्रवक्ता राजेश मूणत ने बताया कि 17 को रायपुर के नगर निगम के 70 वार्ड, बिरगांव नगर निगम के 40 व माना के 15 वार्डों में भाजपा कार्यकर्ता जंगी प्रदर्शन व कंडील यात्रा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार जब से सत्ता में आई है उस दिन से ही हर वादे पर मुकरने और विश्वासघात करने का नया अध्याय रच रही है।

इस कोरोनाकाल में आम उपभोक्ताओं को मदद के बजाए बिजली बिल के दरों में बढ़ोतरी कर राज्य सरकार ने साबित कर दिया है कि उन्हें जन सरोकार से कोई मतलब नहीं और सत्ता का आनंद ही उनका अंतिम लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि बिजली बिल हाफ, कर्जा माफ के वादे के साथ सत्ता में आयी कांग्रेस ने जनता को बिजली में आठ पैसे के राहत न देने के बजाय आठ प्रतिशत दर बढ़ाकर दगा किया है। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए घरेलू बिजली की औसत दर 6.41 निर्धारित की है जो पिछले वर्ष 5.93 यूनिट थी। अब यह दर पिछले साल की तुलना में 48 पैसा अधिक होगा।

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नेता प्रतिपक्ष कौशिक के बयान पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने पूछा है कि रमन सरकार ने 15 साल में नौ बार 90 प्रतिशत बिजली के दाम बढ़ए, बिजली के दामों में हर साल छह प्रतिशत की औसत वृद्धि के समय भाजपा की कंडील कहां थी? रमन राज में उपभोक्ता महंगी बिजली से त्रस्त थे। तभी तो जनता को राहत देने कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बिजली बिल हाफ योजना लेकर आई, जिससे बीते ढाई साल में राज्य के 40 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिली।

कांग्रेस प्रवक्ता ठाकुर ने कहा कि बिजली दरों में हुई आंशिक वृद्धि के बावजूद छत्तीसगढ़ में बिजली की कीमत भाजपा शासित राज्यों से कम है। पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ में 53 पैसा प्रति यूनिट बिजली दर कम है। उन्होंने कहा कि बिजली दरों में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि कोयले की कीमत में 28 प्रतिशत से अधिक वृद्धि, डीजल में 820 प्रतिशत टैक्स की वृद्धि की, कोयला में लगने वाले ग्रीन एनर्जी सेस में 720 प्रतिशत बढ़ोतरी की, रेलवे में कोयला परिवहन में चार साल में 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी की, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में बिजली की दामों में आंशिक वृद्धि हुई है।

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