बिहार में जातिगत जनजगणना के बाद आए राजनीतिक बयान

बिहार में नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं जो की सरकार की सर्वे रिपोर्ट के बाद सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 36 प्रतिशत, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है। सरकार द्वारा आखिरी जारी किए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू यादव समिति कई नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर जल्द ही विधानसभा में जानकारी दी जाएगी। इस संबंध में नीतीश कुमार ने ट्वीट भी किया है। उन्होंने बताया कि जिन दलों ने जातिगत जनगणना का समर्थन किया था उन 9 दलों की बैठक बुलाकर उन्हें इसके आंकड़ों से अवगत कराया जाएगा।

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों ने मिलकर सहमति जताई थी कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जातिगत जनगणना कराए। इसके बाद 2 जून 2022 को मंत्रिपरिषद से जातिगत जनगणना कराए जाने की स्वीकृति दी गई थी। राज्य सरकार ने जातिगत जनगणना अपने संसाधनों के आधार पर करवाई है। इसी जनगणना के बाद जातियों के बारे में जानकारी तो मिली है। साथ ही आर्थिक स्थिति के संबंध में भी जानकारी सामने आई है। राज्य सरकार का कहना है कि इस जनगणना के बाद सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए आगे कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

इस जातिगत जनगणना को लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा की कई साजिशें, कानूनी अर्चन और षडयंत्रों के बाद भी बिहार सरकार ने सफलतापूर्वक जाति आधारित जनगणना के सर्वे को जारी कर दिया है। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि यह आंकड़े वंचित, उपेक्षित और गरीबों के विकास और तरक्की के लिए योजनाएं बनाने में मददगार साबित होंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए की जितनी जनसंख्या सामने आई है उनकी उतनी ही हिस्सेदारी भी हो। राज्य के संसाधनों पर न्याय संगत अधिकार सभी वर्गों का होना चाहिए। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि दशकों के संघर्ष के बाद यह सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि अब सरकार की नीतियों और नियत दोनों ही जाति आधारित सर्वे के इन आंकड़ों का सम्मान करेंगे।

कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर गणना की मांग की

कांग्रेस ने बिहार की जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी होने का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर जल्द से जल्द इस तरह की गणना करानी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों को मजबूती प्रदान करने और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बिहार सरकार ने राज्य में कराए गए जाति आधारित सर्वे के नतीजे जारी कर दिए हैं। इस पहल का स्वागत करते हुए और कांग्रेस सरकारों द्वारा कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में इसी तरह के पहले के सर्वेक्षणों को याद करते हुए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी मांग दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए।’’ रमेश ने कहा, ‘‘संप्रग-2 सरकार ने वास्तव में इस जनगणना के कार्य को पूरा कर लिया था, लेकिन इसके नतीजे मोदी सरकार ने जारी नहीं किए। सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करने और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है।’’ बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं। बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं।

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