पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने फिर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला. इसके साथ ही राज्य के आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) अधिकारियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आला अधिकारियों में संविधान के प्रति न तो कोई जवाबदेही है और ही पारदर्शिता ही है. वे जनसेवक नहीं, बल्कि राजनीतिक सेवक हैं. राज्यपाल दो सप्ताह की छुट्टी पर मंगलवार को दार्जिलिंग पहुंचे हैं. उसी दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं.
राज्यपाल ने महासप्तमी को बधाई देने के अलावा एक बार फिर राज्य सरकार की आलोचना की. राज्य में आईएएस और आईपीएस की भूमिका पर भी सवाल उठाया. बता दें कि बंगाल के राज्यपाल बनाए जाने के बाद से राज्यपाल लगातार ममता सरकार और सरकारी अधिकारियों पर निशाना साधते रहे हैं, हालांकि हाल के दिनों में उन्होंने राजनीतिक बयानबाजी से चुप्पी साध ली थी.
लोकतांत्रिक मूल्यों के कमजोर पड़ने से हूं आहत
राज्यपाल ने कहा,” मैं लोकतांत्रिक मानदंडों और मूल्यों के कमजोर पड़ने से बहुत आहत, परेशान हूं. राज्य में मानवाधिकारों का पालन नहीं हो रहा है. जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं है. यहां के नौकरशाह लोक सेवक नहीं, राजनीतिक सेवक हैं.” उन्होंने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद वह कई बार उत्तर बंगाल आये हैं. यहां का राजभवन आम लोगों के लिए खोल दिया है. सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए हैं. संवैधानिक प्रधान के रूप में बहुत ही आहत हूं और प्रजातांत्रिक नियमों के उल्लंघन के बारे में मीडिया का आकर्षित किया हूं. जवाबदेही और पारदर्शिता नौकरशाही की निम्न स्तर पर है. आईपीएस, आईएएस अधिकारी और मुख्य सचिव कानून के शासन और राज्यपाल के प्रति उदासानी है. जो डोक्यूमेंट सभी नागरिकों को उपलब्ध होने चाहिए. उन्हें संवैधानिक प्रमुख को उपलब्ध नहीं कराये गए हैं. इस बारे में उन्होंने मुख्य सचिव को अगाह किया है.
राज्य सरकार के कामकाज पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं राज्यपाल
राज्यपाल बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर ममता सरकार पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. उन्होंने बार-बार कहा है कि राज्य में एक के बाद एक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं जबकि पुलिस मूक दर्शक बनी हुई है. वह दोषियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है. बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं को लेकर भी उन्होंने ममता सरकार पर निशाना साधा था और दिल्ली जाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इसे लेकर अपनी रिपोर्ट भी सौंपी थी. दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस भी राज्यपाल के खिलाफ मुखर रही है. तृणमूल नेताओं ने उन्हें सीधे तौर पर बीजेपी का एजेंट करार दिया है.