सवाल धर्मांतरण का !

सत्य सनातन वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना, भारतीय संस्कृति और संस्कारों को सुदृढ़ करने तथा समाज में प्रचलित पाखंडों-अंधविश्वासों पर सीधा प्रहार करने के उद्देश्य से ऋषि दयानन्द ने जो ज्योति जगाई थी, वह अब भी प्रज्ज्वलित है। मुजफ्फरनगर में आचार्य गुरुदत्त आर्य वैदिक संस्कार चेतना अभियान के माध्यम से और स्वामी यशपाल योग साधना आश्रम (बघरा) के जरिये वेदों का प्रकाश गांव-गांव, घर-घर पहुंचाने में जुटे हैं।

एक दशक से भी अधिक समय से स्वामी यशपाल हिन्दू धर्मावलम्बियों को फिर से वैदिक धर्म में वापसी का महायज्ञ चलाये हुए हैं। अभी गत 23 सितम्बर 2023 को स्वामी जी ने 10 परिवारों के लगभग 70 स्त्री-पुरुषों व बच्चों को सत्य सनातन हिन्दू धर्म में प्रविष्ट कराया, जो पहले हिन्दू थे किन्तु मौलवियों के बहकावे फुसलावे में आकर इस्लाम धर्म अपना चुके थे। ये सभी हिन्दू जोगी जाति के लोग थे। स्वामी यशपाल तथा उनके सहयोगी आर्यजन अबतक कई सौ लोगों की घर वापसी करा चुके हैं।

इतिहास साक्षी है कि भारत पर हमला करने वाले शकों, हूणो, तातार, मंगोलियाई, पुर्तगालियों आदि ने पुरातन भारतीय संस्कृति को जबरदस्त चोट पहुंचाई किन्तु मुस्लिम हमलावरों ने भारतीय संस्कृति, प्रतीकों और परम्पराओं को सर्वाधिक क्षति पहुंचाई है। साक्ष्य हैं कि मुस्लिम हमलावरों ने इस्लाम धर्म कुबूल न करने वाले करोड़ों हिन्दुओं का कत्लेआम कराया और करोड़ों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया। उदार और महान् कहे जाने वाला अकबर भी धर्मान्तरण कराने में पीछे नहीं था।

हिन्दुओं की हत्यायें एवं सामूहिक इस्लामीकरण कराने में सब से क्रूर शासक औरंगजेब था जिसने इस्लाम धर्म स्वीकार न करने वाले सिख धर्मगुरुओं, शहजादों व सिख पंथ के अनुयायियों को क्रूरता पूर्वक मारा था। गुरु गोबिन्द सिंह साहेब ने ‘जफरनामा’ में औरंगजेब की पूरी पोल खोली है।

आज आक्रान्ता औरंगजेब व टीपू सुल्तान जैसे अत्याचारियों की जयकार लगाने वाले ही सनातन धर्म और ‌हिन्दुओं तथा राम-कृष्ण की याद मिटाने की खुले आम घोषणा करते हैं। वे औरंगाबाद जाकर उस औरंगजेब की कब्र पर फूल च‌ढ़ाते हैं जिसने भारत को दारुल इस्लाम बनाने की कसम खाई थी।

औरंगजेब व टीपू सुल्तान, तैमूरलंग, बाबर आदि के आधुनिक अनुयायी आज कहते हैं कि इस्लाम ने प्रेम व शांति के बल पर हिन्दुओं को मुसलमान बनाया, जो सरासर असत्य है। जिन हिन्दुओं को जबरन मुस्लमान बनाया गया, हिन्दू शासकों या हिन्दू लड़ाकों ने या तो इन्हें पुन: हिन्दू धर्म में दीक्षित करने का प्रयास किया या मुस्लिम शासको के विरुद्ध उन्होंने तलवार उठाईं। सन् 1665-70 के बीच छत्रपति शिवाजी ने हिन्दुओं के शुद्धिकरण का अभियान चलाया। 19वीं शताब्दी के आरंभ में शंकराचार्य नित्यानंद सरस्वती ने बसई (दक्षिण भारत) में हिन्दुओं के शुद्धिकरण का अभियान चलाया। जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है- सुखरो खान फिर से हिन्दू बन गया। उसने गोहत्या बंद करा दी और मन्दिरों में पूजा-पाठ शुरू करा दिये। महमूद ग़ज़नवी ने जिन हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया था, राजा भीमदेव ने उन्हें पुन: हिन्दू धर्म में दीक्षित किया।

स्वामी विद्यानन्द द्वारा एक विशाल यज्ञ से पुनः हिन्दू बनाने का विवरण है और विजयनगर को फिर, से हिन्दू राज्य बनाने का उल्लेख है। कश्मीर का सुल्तान गयासुद्दीन पहले हिन्दू था, हिन्दू धर्म के प्रति आस्था जगने से उसने हजारों लोगों को फिर से हिन्दू बनाया। 14वीं शताब्दी में स्वामी निर्मलकंठ ने शुद्धिकरण परिषद का गठन किया था। 17वीं शताब्दी में कीरतपुर (पंजाब) में सन्यासी कल्याण भारती, जो मुस्लमान बन गए थे, फिर हिन्दू बने। 16वीं शताब्दी में जैसलमेर के महारावल ने विशाल यज्ञ में हजारों हिन्दुओं की घर वापसी कराई थी। सन् 1908 में राजस्थान के डींग में हजारों लोग फिर से हिन्दू बने। 1922 में इलाहाबाद में राजपूतों के क्षत्रिय उत्थान समाज की बैठक में अपना धर्म छोड़ गये राजपूतों को फिर से हिन्दू धर्म में लौटने का आवाह्न किया गया।

इस प्रकार हिन्दुओं की घर वापसी का मुद्दा नया नहीं है। आधुनिक युग में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने देहरादून प्रवास में मुसलमान बन गए युवक को पुन: हिन्दू धर्म में प्रविष्ट कराया था।

अविभाजित भारत को इस्लामी देश बनाने वाले नेताओं ने मुस्लिम लीग व तबलीग की स्थापना की। लीग व तबलीग मुसलमानों में जहरीला प्रचार करते रहे। इस बीच तबलीग को पता चला कि आगरा-मथुरा के बीच रहते वाले मलकाना के लोग फिर से हिन्दू बनना चाहते हैं। तबलीग ने जमातें व उलेमा भेजकर मुस्लिम बन चुके राठौर व चौहान राजपूरों को धमकाना फुसलाना शुरू किया।

लीग व तबलीग के विरुद्ध स्वामी श्रद्धानंद ने 11 फरवरी 1923 को शुद्धि सभा की स्थापना की और मलकाना के 30 हजार मुस्लिम राजपूतों को फिर से हिन्दूधर्म में प्रविष्ट कराया। इस पर तबलीग ने 18 मार्च 1923 को बंबई की बैठक में स्वामी श्रद्धानंद के विरुद्ध प्रस्ताव पासकर उन्हें धमकियां दी। महात्मा गांधी ने स्वामी श्रद्धानंद को बुलाकर शुद्धि आंदोलन बन्द करने को कहा तो उन्होंने तबलीग का प्रचार बन्द कराने की बात कही। गाँधी जी ने अपने अखबार यंग इंडिया के 29 मई 1929 के अंक में स्वामी श्रद्धानन्द के विरुद्ध बहुत जहर उगला। आर्यसमाज की भी निन्दा की। 26 दिसंबर 1929 को नया बांस दिल्ली में रशीद नामक व्यक्ति ने स्वामी श्रद्धानंद की हत्या कर दी। तब गाँधी जी गुहाटी में थे। खबर सुन कर बोले- यह तो होना ही था। गांधी जी ने आसफ अली को हत्यारे रशीद का वकील बनवाया।

आज भी भारत को इस्लामी राज्य बनाने के सडयंत्र जारी हैं। पीएफआई 2047 तक इस्लामिक भारत बनाने की घोषणा कर चुका है। एमके स्टालिन, स्वामी प्रसाद मौर्य, चंद्रशेखर आदि की लम्बी सूचि है। पुलिस व न्यायपालिका का रवैया भी विचित्र है। फिर भी योगी आदित्यनाथ धर्मांतरण के विरुद्ध डटे हुए हैं, भले ही कांग्रेस ने कर्नाटक में स्तनांतरण कानून रद्द कर दिया हो। उत्तर प्रदेश में 2021 से अप्रैल 2023 तक धर्मांतरण कानून के अंतर्गत 833 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। 185 लोगों ने अदालत में स्वीकार किया है कि उन्होंने हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराया है। ऐसे में स्वामी यशपाल भारतीय संस्कृति की रक्षा में जुटे हैं। यह संघर्ष लम्बा और जटिल है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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