सावधान, क्या आपके बच्चे भी फ्री फायर और पब्जी (PUBG) जैसे ऑनलाइन गेम (Online Games) खेलते हैं तो सावधान हो जाइए. क्योंकि यह आपके बच्चे की जान के दुश्मन बन सकते हैं. जी हां, यह खबर उन परिजनों को ध्यान से देखनी चाहिए जिनके बच्चे ऑनलाइन गेमिंग पब्जी फ्री फायर जैसे खेलों के शौकीन हैं क्योंकि यह ऑनलाइन गेम अब बच्चों को नशे की तरह एडिक्ट कर रहे हैं और यह एडिक्शन आपके बच्चे की जान का दुश्मन बन सकता है.
ऐसा ही एक मामला नागौर जिले के लाडनूं थाना क्षेत्र से आया है, जहां एक गांव में रहने वाले 12 वर्षीय बालक 8 दिसंबर को घर से लापता हो गया था. 5 दिन से घर से गायब इस किशोर का शव आज पुलिस को गांव के बाहर नाले के पास दफनाया हुआ बरामद हुआ है. जानकारी के अनुसार 8 दिसंबर को बच्चे के गायब होने के बाद परिजनों ने उसकी गुमसुदगी लाडनूं थाने में दर्ज करवाई. उसके बाद परिजनों के होश तब उड़ गए जब दो दिन बाद एक फोन फोन कॉल पर पिता से फिरौती मांगी गई.
परिजनों ने फिरौती मांगे जाने की जानकारी पुलिस को दी तो लाडनूं थानाधिकारी राजेंद्र कमांडो ने मामले में सक्रियता दिखाते हुए अलग-अलग टीमें बनाकर मामले की जांच शुरू की. सायबर एक्सपर्ट का सहारा लेने पर लाडनूं पुलिस के सामने परिवार के ही किसी सदस्य के इस मामले में संलिप्त होने की बात सामने आई लेकिन जिस घर से एक नाबालिग गायब हुए हो उस घर में किसी से जानकारी जुटाई जाए तो कैसे. जांच करने पर पता चला कि पिता के पास फिरौती के लिए जो कॉल गया था, उसमें मृतक के परिवार के लोगों का इंटरनेट सोर्स यूज किया गया था. जिसकी वजह से पुलिस का शक और पुख्ता हो गया.
परिवार के लोगों से जैसे तैसे जानकारी जुटाने पर पुलिस को मृतक के ही नाबालिग चचेरे भाई पर शक हुआ जो उसका दोस्त भी था और दोनों साथ पब्जी और फ्री फायर जैसे खेलते थे. परिजनों की उपस्थिति में ही नाबालिग से साइक्लोजिकल दबाव बनाया गया तो उसने खुद ही सब कुछ पुलिस के सामने उगल दिया.
पुलिस के अनुसार बाल अपचारी द्वारा बताया गया कि वो और मृतक दोनों ही ऑनलाइन गेम खेलने के आदि थे और उसमें काफी पैसा भी दोनों लगा चुके थे. जिस दिन मृतक घर से गायब हुए, उस दिन गेम की बात को लेकर दोनों में अनबन हुई और उसी दिन उसकी गला दबाकर अपचारी ने हत्या कर दी. वहीं नाले के नजदीक गढ्ढे में उसको दफना दिया. जिसके बाद परिजनों और पुलिस को गुमराह किया. उसने फिरौती मांगने के लिए मृतक के मोबाइल से ही सिम निकालकर रिश्तेदारों के मोबाइल से हॉटस्पॉट लेकर फर्जी आईडी बनाई और फिरौती के लिए कॉल किया था.
बाल अपचारी ने पूरे शातिराना तरीके से न केवल घटना को अंजाम दिया बल्कि घटना के बाद लगातार पुलिस को गुमराह करता रहा. लेकिन साइबर एक्सपर्ट ने जो जाल बिछाया उसीमें फंस गया. साइबर एक्सपर्ट ने मामले में पूरी तकनीक का उपयोग करते हुए बाल अपचारी तक पहुंच सके.
थानाधिकारी लाडनूं राजेंद्र कमांडो ने कहा कि थाने पर एक बालक के गुमशुदगी की की रिपोर्ट आई थी, जिसका मुकदमा हमने दर्ज किया. दो टीमें बनाकर इस बालक का पता लगाने के लिए काम शुरू किया था, दूसरे दिन हमारी जानकारी में आया कि बालक जो गुम हुआ, उसके चाचा के पास सोशल साइट के थ्रू एक सेटिंग आई है कि आपका बच्चा सुरक्षित दिल्ली है. अगर आप इसको सुरक्षित चाहते हो तो ₹500000 फोनपे के जरिए दिए जाएं. हमें पहले तो लगा कि कोई चोर भी हो सकता है क्योंकि सोशल साइट के जरिए बच्चे की गुम होने की बात सब जगह चर्चा में थी लेकिन इसके साथ-साथ इसकी गंभीरता भी थी कि इसके कोई गंभीर परिणाम भी सामने आ सकते हैं. यह सही भी हो सकता है और इसीलिए तुरंत उच्च अधिकारियों को बताया गया.
नाबालिग की मौत की वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन इसकी हत्या किसी और ने नहीं बल्कि इन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ने की है. वर्तमान में हर बच्चा ऑनलाइन गेम का दीवाना है और कई बच्चे इसके एडिक्ट हो चुके हैं. गेम की तरह ही वो अपने जीवन में अपराध करने से नहीं डरते, ऐसे में जरूरत इस बात की है कि परिजन अपने बच्चों पर पूरी नजर रखे और इन घातक ऑनलाइन खेलों से बचाये.