राजस्थान: श्री खाटूश्याम जी मंदिर में भगदड़ मचने से तीन महिलाओं की मौत

सीकर के खाटूश्याम जी के मंदिर में मची भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत हो गई थी। जिसमें तीन महिला श्रद्धालु की मौत हो गई। वहीं, भगदड़ में 12 से अधिक लोग घायल हो गए। जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि कि हादसे का जिम्मेदार कौन है? 

क्या इंतजामों में ही कोई कमी रह गई?
दर्शकों की संख्या बढ़ी पर दर्शन व्यवस्था जस की तस है। सौ से ऊपर होटल, धर्मशाला और 15 से ज्यादा वॉटर पार्क है। भक्तों की सुख-सुविधा का हर तरह से ध्यान रखा जा रहा है। खाटूश्याम की नगरी में खर्च के अनुसार रहने को ठिकाना मिल जाता है। इसके बाद भी दर्शन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया है। भीड़ इतनी रहती है कि कभी-कभी तो दो-दो दिन तक दर्शन का इंतजार करना पड़ता है। 

यह है खाटूश्याम जी के दर्शन की व्यवस्था
मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों को तीन पड़ावों से आगे जाना होता है। पहला पड़ाव मंदिर के बाहर परिसर में लोहे की रैलिंग का है। ज्यादा से ज्यादा भीड़ को समायोजित करने का यह तरीका देश के हर प्रसिद्ध मंदिर में दिखता है। चौड़ाई करीब तीन फीट है, यानी दो व्यक्ति साथ में आगे नहीं बढ़ सकते। दूसरा पड़ाव मंदिर के बरामदा है, जहां संकरी सीढ़ियों से होकर आगे बढ़ना होता है। भीड़ इतनी होती है कि धक्का-मुक्की में ही व्यक्ति आगे बढ़ता जाता है। 

प्रशासन और कमेटी की भूमिका सीमित
शुरुआती दो पड़ावों में मंदिर कमेटी और प्रशासन की भूमिका सीमित है। लोग ही दर्शन के लिए लाइन में लगते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं। तीसरा पड़ाव है मंदिर परिसर का बरामदा। यहां रस्सी के सहारे भक्तों को रोका जाता है। अचानक रस्सी छोड़कर भक्तों को आगे बढ़ने को कहा जाता है। रस्सी खुलते ही भक्तों का रेला श्याम जी की झलक को अपनी आंखों में कैद करने को लालायित होकर आगे बढ़ता है। जहां तक प्रशासन और मंदिर कमेटी की भूमिका का सवाल है तो वह सिर्फ वीआईपी भक्तों की आवभगत में। ऐसे वीआईपी लोगों का आना-जाना अलग रास्ते से होता है।

एक मृतक हरियाणा, दूसरी यूपी की रहने वाली थी 
मृतक महिलाओं में एक हरियाणा के हिसार की रहने वाली थी। कृपा देवी जयपुर के मानसरोवर और तीसरी माया देवी उत्तर प्रदेश के हाथरस से थीं। खाटू श्याम थाना पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है। 

लगता है मासिक मेला 
बता दें कि, खाटूश्यामजी में पुत्रदा एकादशी पर मासिक मेला लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। रविवार देर रात दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटने लगे। इसी दौरान आरती के लिए जब मंदिर के पट बंद किए गए तो पट के पास दबाव बढ़ गया। जिसके बाद धक्का-मुक्की शुरू हो गई। 

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