राज्यसभा सभापति ने 12 सांसदों का निलंबन रद्द करने का अनुरोध ठुकराया

राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की विपक्ष की अपील को खारिज कर दिया है।

उन्होंने कहा, मैं विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की अपील पर विचार नहीं कर रहा हूं क्योंकि निलंबित सांसदों ने माफी नहीं मांगी है, वे अपने व्यवहार को सही ठहरा रहे हैं।

इस पर विपक्षी सदस्यों ने वॉक आउट कर दिया।

खड़गे ने नियम 256 के तहत यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि निलंबन नियमों के विपरीत है।

विपक्ष के नेता ने कहा, सदस्यों को पिछले सत्र में हुए आचरण और सदन के नियमों के खिलाफ होने के कारण निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता।

जवाब में, सभापति ने कहा कि सदन ने एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और घटना के दिन, सभापति द्वारा सांसदों को नामित किया गया था।

मंगलवार की सुबह, टीएमसी को छोड़कर, विपक्षी दल इस मामले पर रणनीति बनाने के लिए खड़गे के कार्यालय में इकट्ठे हुए और सभापति से मिले, लेकिन निराशा हाथ लगी।

अपने कृत्य को सही ठहराते हुए, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सदस्यों को मानसून सत्र में इस तरह के व्यवहार का सहारा लेने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि कुछ मुद्दों को बार-बार अनुरोध के बावजूद चर्चा के लिए नहीं लाया जा रहा था। उन्होंने कहा, 12 विपक्षी सांसदों को नहीं बल्कि ट्रिजरी के 80 सांसदों को निलंबित किया जाना चाहिए।

उच्च सदन ने सोमवार को 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान सदन में हंगामा करने पर 12 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया था।

निलंबित सांसद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा और शिवसेना से हैं।

निलंबित सदस्य सैयद नसीर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा और कांग्रेस के राजमणि पटेल, प्रियंका चतुवेर्दी, शिवसेना के अनिल देसाई, माकपा के एलाराम करीम, के बिनॉय विश्वम भाकपा, डोला सेन और तृणमूल की शांता छेत्री है।

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