महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल बोलीं- टोक्यो में पदक न जीत पाने की टीस हमेशा दिल में रहेगी


भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में 41 वर्ष के सूखे को खत्म कर कांस्य पदक जीता। महिला हॉकी टीम का प्रदर्शन भी जबरदस्त रहा। हालांकि टीम ने कोई मेडल नहीं जीता लेकिन अपने प्रदर्शन से देशवासियों का दिल अवश्य जीता। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इतना करीब होने के बावजूद पदक न मिलने की टीस तो हमेशा दिल में उठती रहेगी

हरियाणा सरकार द्वारा पंचकूला के इंद्रधनुष सभागार में ओलंपिक पदक विजेताओं के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद रानी रामपाल ने कहा कि इस बात का दर्द हमारे अंदर हमेशा रहेगा कि पदक के इतने करीब होने के बावजूद क्यों चूके। वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक के दौरान टीम में अनुभव की कमी थी, पर अब ऐसा नहीं था। 

उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी के जीवन में ऐसे पल हमेशा आते हैं और उसे बहुत जल्द सब कुछ भूलकर आगे बढ़ना होता है। हम इसे जल्द भुलाकर आगे बढ़ेंगे। रानी रामपाल ने कहा कि हमारी टीम की फिटनेस का स्तर शानदार है। पिछले पांच सालों में हमने फिटनेस पर ही काम किया है। हम शुरू में तीन मैच हारे पर उसके बाद वापसी की और सेमीफाइनल में पहुंचे। 

अंत के भी जो दो मैच हारे उसमें टीम ने ज्यादा गलतियां नहीं कीं। हमको ऐसा लगता है कि हमारा दिन ज्यादा अच्छा नहीं था। रानी रामपाल ने बताया कि पहले तीन मैच हारने के बाद माहौल गमगीन था। हमारा सपोर्ट स्टाफ भी निराश था। कोच शोर्ड मारिन ने भी कहा कि आप कैसी हॉकी खेल रहे हैं। मैं आपके साथ काफी सालों से काम कर रहा हूं। इस तरह की हॉकी खेलने का आपका अंदाज नहीं है। 

ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ टीम ने जिस तरह मैच खेला था उससे सभी निराश थे। मैंने टीम को प्रेरित किया कहा कि जो हो गया उसे भुला दें, अच्छा खेलें और नतीजे की परवाह न करें। रानी रामपाल ने बताया कि हमारे कोच ने हमको एक मूवी दिखाई थी, जिससे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ गया था। हमारे कोच अब जा रहे हैं तो हमको उनकी काफी याद आएगी पर यह हमको एक साल पहले से ही मालूम है। अगर कोरोना न होता तो वह पिछले साल ही चले गए होते। हम उनके फैसले का सम्मान करते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here