सिपाहियों की भर्ती: दबाव का हथकंडा नहीं सुशासन का निर्णय


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने सिपाही भर्ती के लिये आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट संबंधी राज्याज्ञा जारी कर दी है। भर्ती का विज्ञापन जारी होने के बाद अभ्यर्थी आयु सीमा में छूट की मांग कर रहे थे। मौके की तलाश में रहने वाले विपक्ष ने इसे मुद्दा बना कर आन्दोलन छेड़ दिया और बागपत लेकर लखनऊ तक धरना, प्रदर्शन, हंगामे का सहारा लिया। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आयु सीमा में छूट का आदेश जारी होने पर रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने कहा है कि मेरे जन्मदिन पर 60244 अभ्यर्थियों का यह उपहार है। हमने जबरदस्त तरीके से कोशिश कर अपनी मांग मनवाली है। यह जबरदस्त तरीका क्या है? शोर-शराबा, हंगामा, रास्ता जाम करो और बैरीकेडिंग तोड़कर पुलिस से भिड़त करो? बाग‌पत तथा लखनऊ में जयन्त के समर्थकों ने यही किया।

भर्ती की आयु सीमा में छूट की मांग प्रदेश के लाखों अभ्यर्थी कर रहे थे। सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसद तथा विधायकगण भी अभ्यर्थियों की मांग से सहमत थे। केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान सहित भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा था। जयन्त चौधरी व अखिलेश यादव ने भी यहीं मांग की थी। पक्ष-विपक्ष की उचित मांग को मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लोकतंत्र के पक्ष को मजबूत किया क्यूंकि वे 25 करोड़ मतदाताओं द्वारा चुनी सरकार के मुखिया हैं। लोकतंत्र में हेकड़ी गा जोर दबाव का कोई स्थान नहीं, जिसका विपक्ष आदी हो चुका है। इन्ही लोगों व आन्दोलनजीवियों ने अग्निवीर की भर्ती पर युवाओं को गुमराह कर अरबों-खरबों की रेलवे सम्पत्ति फुंकवा दी थी।

सरकार के गलत निर्णयों का दमदार तरीके से विरोध‌ होना चाहिये लेकिन लोकतंत्र में बाहुबल, तोडफोड़ या शक्ति प्रदर्शन का कोई स्थान नहीं है। गांधीवाद और अहिंसा कर नाम लेकर किये जाने वाले हथकंडों को देश स्वीकार नहीं करेगा।

गोविन्द वर्मा

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