धर्मगुरु दलाई लामा आज लेह-लद्दाख पहुंचे, 45 दिन यहीं रुकेंगे

बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा के लेह-लद्दाख के प्रस्तावित प्रवास कार्यक्रम में बदलाव हुआ है। अचानक हुए इस बदलाव के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई उनकी बातचीत को कारण माना जा रहा है। बता दें कि 6 जुलाई को अपने जन्मदिन पर धर्मगुरु दलाईलामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉल के जरिए लगभग 10 से 15 मिनट तक लंबी बातचीत हुई थी। इस बातचीत के बाद ही धर्मगुरु दलाईलामा ने लेह-लद्दाख के अपने प्रवास कार्यक्रम में बदलाव किया है। दलाईलामा का लेह लद्दाख का आधिकारिक प्रवास कार्यक्रम पहले 21 से 23 जुलाई तक तय था।

प्रधानमंत्री से फोन पर बातचीत के बाद 8 जुलाई को दलाईलामा का अचानक दिल्ली का दौरा बन गया। दलाईलामा दिल्ली में किन महत्वपूर्ण लोगों से मिले या बैठकें की, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। हालांकि, दलाईलामा के सभी दौरे उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाते थे। दिल्ली जाते समय धर्मगुरु दलाईलामा ने यह भी कहा कि चीन अब बदल गया है, वह उनसे संपर्क करना चाह रहा है। धर्मगुरु के इस बयान के भी मायने तलाशे जा रहे हैं। उधर, दिल्ली में तीन दिन रुकने के बाद अब दलाईलामा अपने आधिकारिक दौरे से 10 दिन पहले ही 11 जुलाई को लेह-लद्दाख जा रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो दलाईलामा का लेह लद्दाख का प्रवास कार्यक्रम अब 3 दिन नहीं बल्कि करीब डेढ़ महीने का होगा। लेह-लद्दाख में प्रवास के दौरान धर्मगुरु की गतिविधियों व कार्यक्रमाें को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। बताया जा रहा है कि दलाईलामा मंगलवार को लेह लद्दाख पहुंच कर ही अपने कार्यक्रम तय करेंगे। हालांकि, दलाईलामा टीचिंग देने के लिए लेह लद्दाख के दौरे पर हर साल जुलाई में जाते हैं। लेकिन, सीमा विवाद के चलते चीन अक्सर दलाईलामा के लेह-लद्दाख जाने का विरोध करता रहा है।

दलाईलामा की यात्रा ने बढ़ाया था चीन का ब्लड प्रेशर
गौरतलब है कि धारा 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इस बार धर्मगुरु दलाईलामा की लेह-लद्दाख की यह दूसरी यात्रा है। पिछले साल दलाईलामा 15 जुलाई को एक महीने की लेह-लद्दाख की यात्रा पर गए थे। उस वक्त दलाईलामा की लेह-लद्दाख की यात्रा ने चीन का ब्लड प्रेशर बढ़ा दिया था। भारत और चीन के बीच कूटननीतिक शब्दबाण चले थे। चीन धर्मगुरु दलाईलामा को एक अलगाववादी नेता मानता है। चीन का कहना है कि दलाईलामा भारत और चीन की शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।

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