मुलायम सिंह यादव का सम्मान या अपमान !

8 दिसम्बर, 2022 को पेट से अत्यधिक रक्तस्राव होने के बाद मुझे गुरुग्राम के मेदान्ता अस्पताल में भर्ती कराया गया। परमपिता पर-मात्मा की असीम कृपा एवं दया से प्राणों की रक्षा हुई। अत्यधिक कमजोरी के कारण पढ़ने-लिखने में समर्थ नहीं हूं। फिर भी 74वें गणतंत्र दिवस पर जो एक महत्वपूर्ण घोषणा भारत सरकार की ओर से की गई है, उस पर चन्द पंक्तियां लिखने से नहीं रोक सका। समाजसेवा, कला, संगीत, संस्कृति, शिक्षा, पर्यावरण विकास एवं आंतरिक सुरक्षा आदि क्षेत्रों में असाधारण उल्लेखनीय कार्य करने वाले 106 विशिष्ठजनों का पद्म पुरस्कारों से नवाजने की घोषणा की।

इन 106 लोगों में भारत के रक्षा मंत्री एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव का नाम भी है। स्व. यादव को मरणोपरान्त ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। ‘भारतरत्न’ के पश्चात यह देश का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है। आश्चर्य यह है कि मुलायम सिंह यादव की विरासत संभालने वाले उनके बड़े पुत्र अखिलेश यादव ने 26 जनवरी 2023 से अब तक मोदी सरकार की इस घोषणा पर मौन साधा हुआ है।

अखिलेश यादव इन दिनों शायद कुछ विषयों या मुद्दों पर खुद न बोल कर अपने चहेतों या निकटवर्ती लोगों के ज़रिये अपनी मन की बात कहलवाने का नया प्रयोग कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिये भगवान राम की गौरवगाथा चित्रित करने वाले गोस्वामी तुलसीदास के अमर ग्रंथ रामचरित मानस (रामायण) को फड़वाने और जलवाने से लेकर उस पर पाबंदी लगवाने तक का अभियान अपने चेल चपाटों के जरिये छेड़ दिया। अब कहा जा रहा है कि ये तो स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी विचार है। हम तो रामायण क्या कुरान, बाइबिल आदि सभी ग्रंथों का आदर करते हैं। यह दोगलापन नेताओं की अनोखी अदाकारी है।

नेता जी (स्व. मुलायम सिंह यादव) को पद्म विभूषण दिये जाने पर अखिलेश का मौन नहीं टूटा किन्तु उनकी पत्नी डिम्पल यादव ने मोदी सरकार को खुब खरी-खोटी सुनाई है। डिम्पल ने कहा कि मोदी सरकार ने नेताजी का पद्म विभूषण देने की घोषणा से अपमान किया। उन्हें भारतरत्न से अलंकृत किया जाना चाहिए था। हम इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

यह पूरा देश जानता है कि नरेन्द्र मोदी ने पद्म अलंकारों की घिसी पिटी परम्परा को बदल डाला। उन्होंने ऐसे सुपात्रों को ये सम्मान प्रदान कराये जो आडम्बर, प्रचार व शिफारिशें छोड़ कर अपने-अपने क्षेत्रों में सेवा भाव में जुटे थे। निन्दा करने वालों ने तो तब भी जली-कटी सुनाई थी जब गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से नवाजा गया था। चार दशकों से अधिक समय तक कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी को भारतरत्न मिलने की सराहना सोनिया, प्रियंका, राहुल ने आज तक नहीं की। अपना उल्लू साधने वाले नेता अच्छे कामों को देखने सुनने के बजाय आंखों पर ठीकरा रख लेते हैं। देश यह भी जानता है कि मुलायम सिंह यादव भारतरत्न के पात्र थे या पद्म विभूषण के फिर भी नरेंद्र मोदी ने उनकी सेवाओं को नजर अन्दाज़ नहीं किया।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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