उत्कट देशभक्त, स्वाधीनता संग्राम सेनानी, काबुल जा कर पहली आज़ाद हिन्द (निर्वासित) सरकार गठित करने वाले, भारत माता के सच्चे सपूत, आर्यन पेशवा राजा महेन्द्र प्रताप को नश्वर संसार छोड़े आज (29 अप्रैल) 45 वर्ष हो गए। देश की आज़ादी के लिए राजाजी का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में लिखने योग्य है। याद को अक्षुण्ण बनाये रखने का पहली बार मोदी और योगी सरकारों ने प्रयास किया, जब गतवर्ष ब्रज प्रदेश में राजा महेन्द्र प्रताप के नाम से विश्व विद्यालय की स्थापना की गई।
मुजफ्फरनगर जिले से राजा महेन्द्र प्रताप जी का रिश्तेदारी का संबंध है। मोलाहेड़ी रियासत परिवार में उनकी बहिन का विवाह हुआ था। इस परिवार के वरिष्ठ सदस्य धर्मवीर एडवोकेट स्टेशन रोड और कुंवर देवराज पंवार सिविल लाइन्स, (प्रकाश चौक) पर निवास करते हैं, जिन्होंने राजा साहब के विषय में कुछ बताया।
नगर के प्रमुख समाजसेवी, रोटरी इन्टरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कृष्णगोपाल अग्रवाल जी ने राजा साहब के विषय में पूर्व में विस्तार से जानकारियां दी थीं। जब राजा जी वृन्दावन से रायपुर रोड, देहरादून को जाते थे, तब मुजफ्फरनगर में बाबूजी के पास जरूर रुकते थे। कल यानी 28 अप्रैल, 2024 को में बाबूजी से राजा महेन्द्र प्रताप जी की यादों की जानकारियां लेने उनकी कोठी पर पहुंचा तो ज्ञात हुआ कि पैर फिसलने से वे फर्श पर गिर गए थे और सिर में काफी चोट आई है। चोट के बावजूद वे मुझसे मिले किन्तु मैंने विस्तार से बातें करना उचित नहीं समझा। इसी बीच शहर के प्रसिद्ध सर्जन डॉ.एस.सी.गुप्ता जी उनसे मिलने आ गए। मैं बाबू कृष्ण गोपाल जी के स्वस्थ होने पर राजा महेन्द्र प्रताप जी के विषय में जानकारियां लेकर साझा करूंगा। राजा जी परम देश भक्त होने के साथ विश्वबंधुत्व तथा विश्व शांति के प्रबल समर्थक थे।
महान् देशभक्त राजा महेन्द्र प्रताप जी की पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन्।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’