जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्रों के बीच एक बार फिर टकराव हो गया है। रविवार रात दोनों के बीच जमकर मारपीट हुई जिसमें कई छात्र घायल बताए जा रहे हैं। मारपीट की इस घटना के बाद दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। मारपीट में करीब 12 छात्रों के घायल हो जाने की खबर है। इनमें से तीन गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
एबीवीपी से जुड़े छात्रों का कहना है कि रविवार रात जेएनयू के स्टूडेंट एक्टिविटी रूम में उनकी बैठक हो रही थी। इसी बीच करीब पौने 10 बजे वामपंथी छात्र वहां पहुंच गए। उन्होंने न केवल एबीवीपी की बैठक का विरोध किया बल्कि उनके साथ मारपीट भी की। एबीवीपी का दावा है कि इस मारपीट में उसके कई छात्र बुरी तरह घायल हुए हैं। उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। घायलों में छात्राएं भी शामिल हैं। एबीवीपी का आरोप है कि वामपंथी छात्रों ने महिलाओं और दिव्यांगों पर भी हमला किया।
एसएफआई ने एबीवीपी पर लगाया आरोप
मारपीट की घटना के बाद स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की नेता और जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने एबीवीपी से जुड़े लोगों पर जेएनयू में हिंसा फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने कैंपस में बार-बार हिंसा की है। लोकतंत्र को बाधित किया है। एक ट्वीट में आईशी ने जेएनयू प्रशासन से इस मामले में कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कुछ घायल छात्रों की तस्वीरें भी साझा की हैं।
पहले भी हो चुकी है मारपीट
गौरतलब है कि जेएनयू में कोई पहली बार हिंसा नहीं हुई। इससे पहले 6 जनवरी 2020 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों ने लेफ्ट संगठनों को मारपीट का जिम्मेदार ठहराया था। जेएनयू में पढ़नेवाले कुछ छात्र मीडिया के सामने आए। ये एबीवीपी के सदस्य थे। उन्होंने लेफ्ट संगठनों पर मारपीट के आरोप लगाए। छात्र ने कहा कि लड़ाई विंटर सेशन के लिए रजिस्ट्रेशन को लेकर थी। छात्र के मुताबिक, पीस मार्च के बहाने 700 लोग (लेफ्ट संगठनों के) एकत्रित हो गए थे और उन्होंने ही सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाया ताकि रजिस्ट्रेशन बाधित हो जाए।