काबुल. अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) का अधिकार हो गया है. ज्यादातर देश वहां से अपने दूतावास खाली कर रहे हैं और अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में लगे हैं. वहीं, चीन-पाकिस्तान तालिबान के शासन का खुला समर्थन कर रहे हैं. अब इस लिस्ट में रूस का नाम भी जुड़ गया है. अफगानिस्तान में रूस (Russia) के राजदूत ने दावा किया है कि तालिबान ने पहले की अपेक्षा काबुल को ज्यादा सुरक्षित कर दिया है. बता दें कि रूस के खिलाफ ही तालिबान अस्तित्व में आया था.
रूस ने काबुल में अपने दूतावास को खाली करने की किसी योजना से इनकार करके यह साफ कर दिया है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी जा सकती है. समाचार एजेंसी एएनआई ने एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव (Dmitry Zhirnov) ने कहा कि तालिबान ने पहले 24 घंटों में काबुल को पिछली सरकार की तुलना में सुरक्षित बना दिया है.
रूस के राजदूत के इस बयान को तालिबान के साथ रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. रूस चाहता है कि अफगानिस्तान में फैली अस्थिरता सेंट्रल एशिया में नहीं फैले लिहाजा वह तालिबान के साथ अपने रिश्ते बेहतर करना चाहता है.
ऐसे बना था तालिबान
दरअसल, रूस के खिलाफ ही तालिबान बना था. 1980 के शुरुआती दिनों की बात है. अफगानिस्तान में सोवियत यूनियन की सेना आ चुकी थी. उसी के संरक्षण में अफगान सरकार चल रही थी. कई मुजाहिदीन समूह सेना और सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे. इन मुजाहिदीनों को अमेरिका और पाकिस्तान से मदद मिलती थी. 1989 तक सोवियत संघ ने अपनी सेना वापस बुला ली. इसके खिलाफ लड़ने वाले लड़ाके अब आपस में ही लड़ने लगे. ऐसा ही एक लड़ाका मुल्ला मोहम्मद उमर था. उसने कुछ पश्तून युवाओं को साथ लेकर तालिबान आंदोलन शुरू किया.
आज तालिबान के नेताओं से मुलाकात करेंगे रूसी राजदूत
रिपोर्ट के मुताबिक रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि आज रूसी राजदूत तालिबान के प्रमुख नेताओं के साथ काबुल में मुलाकात करेंगे. इस दौरान रूस “आचरण” के आधार पर अफगानिस्तान में नई सरकार को मान्यता देने पर फैसला करेगा.
चीन दे चुका मान्यता
बता दें कि चीन ने सोमवार को अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार को मान्यता दे दी है. वहीं पाकिस्तान भी जल्द ही तालिबान सरकार को मान्यता देने का ऐलान कर सकता है, क्योंकि पाकिस्तान लगातार तालिबान का समर्थन कर रहा है.