अखिलेश से मिले सलीम शेरवानी, बेनतीजा रही बातचीत

सपा के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की लेकिन बातचीत बेनतीजा रही। वहीं, एक के बाद पदाधिकारियों के साथ छोड़ने से यह साफ हो गया है कि अपनों को थामने की सपा की रणनीति कारगर साबित नहीं हो रही है।

सपा में असंतोष के स्वर पिछली साल नवंबर में ही सामने आ गए थे, जब खीरी संसदीय सीट से दो बार सांसद रहे कद्दावर नेता रहे रवि प्रकाश वर्मा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। उसके बाद जैसे ही सपा ने राज्यसभा चुनाव के तीन प्रत्याशी उतारे, यह अंसतोष भगदड़ में बदल गया। सपा के राष्ट्रीय महासचिव व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी और विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया।

सपा में स्वामी प्रसाद मौर्य और विधानसभा में उसके तत्कालीन मुख्य सचेतक मनोज पांडे, दोनों विपरीत ध्रुव की तरह माने जाते थे। दोनों एक-दूसरे को भाजपा का एजेंट बताते थे लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान इन दोनों नेताओं ने सपा से अलग रास्ता अपना लिया। मनोज पांडे समेत सपा के सात विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया।

राज्यसभा प्रत्याशियों को तय करने में पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पांच बार के सांसद रहे सलीम शेरवानी ने भी राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका चुनाव क्षेत्र बदायूं रहा है। इसके बाद सपा ने बदायूं से धर्मेंद्र यादव के बजाय शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया। शिवपाल ने सलीम शेरवानी को मनाने के लिए फोन किया।

 इस पर चार मार्च को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सलीम शेरवानी के बीच मुलाकात हुई। सलीम ने कहा कि इस बैठक में उन्होंने सपा अध्यक्ष के सामने मुसलमानों के मामले में ढंग से आवाज न उठाने का मुद्दा रखा। सलीम का यह भी कहना है कि अखिलेश से हुई बातचीत से कोई समाधान नहीं निकला। वे सहसवान में सेक्युलर फ्रंट के तहत बुधवार को एक बैठक कर रहे हैं। वहां अपने समर्थकों के साथ राय-मश्विरा करने के बाद यह तय करेंगे कि आगे क्या करना है।

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