आत्मनिर्भर भारत हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हो, भ्रष्टाचार-जातिवाद से लड़ने में देश एकजुट हो: मोदी

76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से नौंवी बार ध्वजारोहण किया। इस मौके पर उन्होंने राष्ट्र को संबोधित भी किया। प्रधानमंत्री के भाषण में भारत की विरासत से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों, यहां की एकता और अखंडता का भी जिक्र था। प्रधानमंत्री ने देश की विविधता पर गर्व करने की अपील की। अपने संबोधन के दौरान पीएम ने अगले 25 सालों के लिए पांच प्रण भी लिए। उन्होंने विकसित भारत का प्रण लिया। कहा, इससे कम कुछ भी नहीं। ऐसे में आइए जानते हैं आजादी के इस अमृत महोत्सव में पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें…

नेहरू-सावरकर का जिक्र 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। उन्होंने कहा, हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो। जीवन न खपाया हो। यातनाएं न झेली हो। आहुति न दी हो। आज का ये दिवस ऐतिहासिक है। पीएम ने कहा, यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे ऐसे अनगिनत क्रांति वीरों का, जिन्होंने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी। आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी, नेहरू जी हो, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीन दयाल उपाध्याय, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनोबा भावे, वीर सावरकार, नाना जी देशमुख ऐसे अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है। 

विविधता ही भारत की शक्ति 
पीएम मोदी ने कहा, भारत की विविधता ही भारत की शक्ति है। भारत की हर भाषा पर हमें गर्व होना चाहिए। भले ही वह भाषा हमें आती हो या न आती हो, लेकिन हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे पुरखों ने वह भाषा हमें दी है। 130 करोड़ देशवासियों में एकता। एक भारत-श्रेष्ठ भातर के सपनों को पूरा कर सकती है। उन्होंने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। जिनके जहन में लोकतंत्र होता है, वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं तो उनका सामर्थ्य दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आता है।

दुनिया का बदल रहा नजरिया 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। समस्याओं का समाधान दुनिया, भारत की धरती पर खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है।

अगले 25 सालों के लिए गिनाए पांच प्रण 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जब हम 2047 में देश की आजादी के 100 साल पूरे करेंगे तो हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सभी सपनों को पूरा करने का प्रण लें। उन्होंने कहा, अगले 25 साल देश के बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें पंच प्रण की शक्ति पर ध्यान केंद्रित करना होगा। ये पंच प्रण हैं-

1.विकसित भारत
2.गुलामी से मुक्ति
3.विरासत पर गर्व
4. एकता और एकजुटता
5. नागरिकों का कर्तव्य

नारी का सम्मान हर हाल में जरूरी 
प्रधानमंत्री ने कहा, हममें विकृति आई है। हम नारी का सम्मान नहीं करते हैं। हमारी बोलचाल में हम नारी का अपमान करते हैं। उन्होंने कहा, हम स्वभाव में, संस्कार में, रोजमर्रा की जिंदगी में क्या नारी का सम्मान करने का संकल्प ले सकते हैं? उन्होंने कहा, नारी का गौरव, राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। इसलिए नारी का हर हाल में सम्मान जरूरी है। उन्होंने कहा, हम जिनते अवसर हमारी बेटियों को देंगे, जितनी सुविधाएं देंगे, वे हमें बहुत कुछ लौटाकर देंगे। हमारे सपनों में नारी की मेहनत लग जाएगी, जो हमारी मेहनत कम हो जाएगी।  

भष्ट्राचार और भाई-भतीजावाद पर चोट
प्रधानमंत्री ने कहा, हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा। हम एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं। बड़े-बड़े लोग बच नहीं पाएंगे। मैं लाल किले की प्राचीर से बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है। मुझे इसके खिलाफ लड़ना है। मैं आज आपसे साथ मांगने आया हूं। आपसे सहयोग मांगने आया हूं। जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें लौटाना होगा। भाई-भतीजावाद पर चोट करते हुए उन्होंने कहा, लोग सोचते हैं कि मैं सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात करता हूं। हिंदुस्तान की हर संस्था में परिवारवाद है। इसके कारण मेरे देश के टैलेंट को नुकसान होता है। सामर्थ्य को नुकसान होता है, जिनके पास अवसर की संभावनाए हैं, वो भाई-भतीजावाद के कारण बाहर रह जाता है। भाई-भतीजावाद के खिलाफ नफरत पैदा करनी होगी। परिवारवादी राजनीति परिवार की भलाई के लिए होती है, देश के लिए नहीं। आइए, हिंदुस्तान की राजनीति व सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए इससे मुक्ति दिलाकर आगे बढ़ें। 

स्वदेशी का मंत्र 
प्रधानमंत्री ने कहा, हमें आत्मनिर्भर भारत की ओर से बढ़ना है तो स्वदेशी का मंत्र जरूरी है। आज महर्षि अरविंद की जयंती है, उन्होंने स्वदेशी से स्वराज का नारा दिया था। उन्होंने कहा, आज लाल किले पर भारत में बनी तोज से ही सलामी दी गई है। 75 सालों से इस एक आवाज के लिए हमारे कान तरस रहे थे। उन्होंने कहा, आज हमारे पांच-पांच साल के बच्चे संकल्प ले रहे हैं कि विदेशी खिलौनों से नहीं खेलना है। 

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