शिवसेना ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी और उनकी पार्टी पर कटाक्ष किया है। शिवसेना ने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखने से सत्तारूढ़ दल भाजपा को फायदा होगा और ‘फासीवादी’ ताकतों को मजबूती मिलेगी। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है, ‘जो लोग कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को नहीं चाहते हैं, उन्हें पीठ पीछे बात करके भ्रम पैदा करने के बजाय सार्वजनिक रूप से अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। अगर भाजपा से लड़ने वाले लोगों को लगता है कि कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिए, तो यह रवैया ठीक नहीं है। , अगर विपक्षी दलों के बीच एकता नहीं है, तो एकता होनी चाहिए। भाजपा का राजनीतिक विकल्प बंद होना चाहिए।
शिवसेना ने कहा, ‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी बोलना चाहिए कि वे यूपीए के साथ क्या करने की योजना बना रहे हैं। जो लोग विपक्षी दलों का मजबूत गठबंधन चाहते हैं, उन्हें यूपीए को मजबूत करने के लिए पहल करनी चाहिए। जो लोग चाहते हैं कि देश में एक मजबूत विपक्षी मोर्चा उभरे, उन्हें कांग्रेस को साथ लेकर यूपीए को मजबूत करने के लिए आगे आना चाहिए।’ संपादकीय में यह भी कहा गया है कि यूपीए जैसा गठबंधन बनाने से भाजपा को ही मजबूती मिलेगी। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस अभी भी कई राज्यों में है। संपादकीय में लखीमपुर खीरी कांड के दौरान प्रियंका गांधी के प्रयासों की सराहना की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर प्रियंका लखीमपुर खीरी नहीं जातीं तो मामला खारिज हो जाता। उन्होंने एक विपक्षी नेता के रूप में अपनी भूमिका निभाई।
गौरतलब है कि बीते दिनों प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर निशाना साधा था। प्रशांत ने कहा कि था कि कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का ‘ईश्वरीय अधिकार’ नहीं है। खासकर जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी से अधिक चुनाव हार गई हो। वहीं, टीएमसी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में छपे एक लेख में कहा गया है, ‘देश को वर्तमान में एक वैकल्पिक मोर्चे की जरूरत है और विपक्षी दलों ने ममता बनर्जी को वह जिम्मेदारी दी है। वह वर्तमान में देश में सबसे लोकप्रिय विपक्षी चेहरा हैं।’ इससे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अपनी मुंबई यात्रा के दौरान कहा था कि ‘अब कोई यूपीए नहीं है’।