सिलक्यारा सुरंग: सकारात्मक परिणामों से बाकी प्लान पर काम धीमा, ऑगर मशीन से ही सफलता मिलने की उम्मीद

सिलक्यारा सुरंग के अंदर खाने की सप्लाई के लिए छह इंच का पाइप आरपार होने के जो सकारात्मक नतीजे आएं हैं उससे बचाव अभियान से जुड़ी सभी एजेंसियां व जिला प्रशासन उत्साहित हैं। अब सभी को ऑगर मशीन से ही रेस्क्यू में सफलता मिलने की उम्मीद है, ऐसे में अन्य प्लान पर काम धीमा हो गया है।

दरअसल 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन होने के बाद से 41 मजदूर अंदर ही फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए पहले मलबा हटाने का प्रयास किया गया। जिसमें सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद देशी ऑगर मशीन से ड्रिल शुरू हुई, लेकिन मात्र 7 मीटर ड्रिल के बाद ही मशीन की क्षमता कम लगने पर इसे हटाना पड़ा। इसके बाद दिल्ली से वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद से अमेरिकी जेक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन मंगवाई गई।

इससे ड्रिल शुरू हुई और 22 मीटर तक 900 एमएम व्यास के पाइप डाल दिए गए, लेकिन बीच में कठोर वस्तु आने से मशीन को रोकना पड़ा। इस बीच मजदूरों तक खाने की सप्लाई के लिए छह इंच की एक अलग पाइपलाइन डालने का काम शुरू हुआ। जो शुरुआती अड़चनों के बाद सोमवार शाम आरपार हो गया। इस सकारात्मक खबर से रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है।

मंगलवार को अमेरिकी ऑगर मशीन से यहां दोबारा ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया। जिससे 820 एमएम व्यास के पाइप मलबे में डाले जा रहे हैं। इन पाइपों को पूर्व में डाले गए 900 एमएम के पाइपों के अंदर से ही भेजा रहा है।

सुरंग के अंदर काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि पुरानी व नई मिलाकर अब तक कुल 35 मीटर तक ड्रिल हो चुकी है। जिससे सभी लोगों में सुरंग के अंदर ऑगर मशीन से ही खुशखबरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इसके चलते बाकी प्लान पर काम धीमी गति से हो रहे हैं।

सुरंग के ऊपरी हिस्से में कम दिखी गतिविधियां
मंगलवार को सुरंग के ऊपरी हिस्से में ड्रिलिंग के लिए गतिविधियां तेज होने की उम्मीद थी, लेकिन यहां कम गतिविधियां ही नजर आईं। गत सोमवार सुबह सर्वे व देर शाम तक यहां सड़क बनाने का काम पूरा कर लिया गया था। लेकिन मंगलवार को यहां ड्रिलिंग व बोरिंग की कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी। हालांकि एक बोरिंग मशीन सुरंग के ऊपर जाने वाली सड़क पर जाती हुई जरूर नजर आई थी।

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