चंडीगढ़। पंजाब सरकार द्वारा पिछले कुछ दिनों से राज्य में सुरक्षा प्राप्त लोगों की सुरक्षा वापस लेने की चलाई जा रही मुहिम पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं। हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब करते हुए पूछा है कि किस आधार पर सुरक्षा वापस ली जा रही या कम की जा रही है।
हाई कोर्ट के जस्टिस राज मोहन ने मामले की अगली सुनवाई के दिन 2 जून को यह जानकारी सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने विभिन्न व्यक्तियों की सुरक्षा डी-कैटेगरी करने व व्यक्तिगत खतरे का आकलन करने की क्या दस्तावेज या सामग्री है, इससे भी कोर्ट को अवगत कराने को कहा है।
कोर्ट ने शनिवार को पंजाब के 424 सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों की जो सुरक्षा वापस लेने और उसके बाद उनकी सूची सार्वजनिक होने पर नाराजगी जताते हुए पूछा है कि यह सूची सार्वजनिक आरटीआइ या अन्य कारण से हुई इसकी भी कोर्ट को जानकारी दी जाए।
हाई कोर्ट ने यह आदेश पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री ओपी सोनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। कोर्ट ने इस मामले में पंजाब व केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।
ओपी सोनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पंजाब सरकार के 11 मई के उस आदेश को रद करने की मांग की है जिसके तहत उनकी जेड सुरक्षा वापस लेकर उनकी सुरक्षा में तैनात 19 सुरक्षा कर्मी हटा दिए गए।
सोनी ने आरोप लगाया कि जब से आप की सरकार आई है वह बदले की भावना से सुरक्षा हटा रही है। उन पर कई बार हमला हो चुका है और वह राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन दो पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल व रंधावा को जेड सुरक्षा जारी रखते हुए केवल उनकी ही सुरक्षा वापस ली गई है।
कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली के सीएम जिनका पंजाब में कोई घर नहीं है उनको पंजाब सरकार की तरफ से जेड कवर की सुरक्षा दी गई है। पंजाब से सांसद राघव चड्ढा को भी जेड कवर की सुरक्षा दी गई है, जबकि उनको कोई खतरा नहीं है। पंजाब सरकार केवल पिक एंड चूज की नीति पर चल कर सुरक्षाकर्मी हटा रही है।
अमृतसर अकाली दल के प्रमुख को सुरक्षा देने के आदेश
अकाली नेता वीर सिंह लोपोके ने भी अपनी सुरक्षा वापस लिए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और तत्काल लोपोके की सुरक्षा में दो सुरक्षाकर्मी तैनात करने के आदेश दे दिए हैं।