मुसाफिरखाना कोतवाली में नाबालिगों से मारपीट, दो सिपाही निलंबित, जांच शुरू

मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र में कथित चोरी के संदेह में दो नाबालिगों और उनके एक साथी के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा की गई मारपीट का मामला सामने आया है। आरोप है कि चार पुलिसकर्मियों ने तीनों को कोतवाली ले जाकर पट्टों, डंडों और लात-घूंसों से पीटा। इसके बाद दोनों किशोरों पर शांतिभंग की कार्रवाई करते हुए कोर्ट में पेश किया गया। यह मामला मंगलवार को कांग्रेस सांसद किशोरीलाल शर्मा तक पहुंचा, जिनके हस्तक्षेप के बाद पुलिस विभाग हरकत में आया।

पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिपाही संतोष कनौजिया और अर्धेन्दु चौहान को तत्काल निलंबित कर जांच एएसपी शैलेंद्र सिंह को सौंपी है।

ट्रक से डीजल चोरी की जांच के दौरान उठाए गए किशोर

30 जून की रात मुसाफिरखाना पुलिस ने एक गांव से ट्रक से डीजल चोरी की जांच के सिलसिले में तीन युवकों को संदेह के आधार पर उठाया था। इनमें दो किशोर शामिल थे, जिनके साथ सत्यम यादव नामक युवक भी था। परिवारीजनों के अनुसार, तीनों को थाने ले जाकर बारी-बारी से शारीरिक प्रताड़ना दी गई।

किशोर न्याय कानून की अनदेखी

परिजनों का कहना है कि पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना के नाबालिगों को थाने ले जाकर न सिर्फ कानून की अनदेखी की, बल्कि शांतिभंग जैसे मामले में किशोरों को कोर्ट भेजकर विधिक प्रक्रिया का भी उल्लंघन किया। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत बिना अभिभावक की उपस्थिति के किसी नाबालिग से पूछताछ करना अवैध है और शांतिभंग के आरोप में किशोरों का चालान नहीं किया जा सकता।

पहले भी विवादों में रहा थाना

यह पहली बार नहीं है जब मुसाफिरखाना कोतवाली चर्चा में आई हो। हाल ही में एक उपनिरीक्षक की कथित रिश्वत संबंधी बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था, जिससे विभाग की साख पर सवाल खड़े हुए थे। अब किशोरों के साथ हुई मारपीट की घटना ने फिर से पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुलिस का पक्ष

एसपी अपर्णा रजत कौशिक ने कहा, “प्राथमिक जांच में दोषी पाए गए दो सिपाहियों को निलंबित किया गया है। जांच एएसपी को सौंपी गई है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

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