मुफ्तखोरी की ओर बढ़ते कदम !

विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने लखनऊ में बैठक बुला कर योगी मंत्रिमंडल की 5 मार्च की बैठक में की गई घोषणाओं पर विचार किया। बैठक में कहा ग‌या कि सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने के साथ ही नलकूपों से बिजली मीटर हटाये जाने का आदेश जारी हो और मुफ्त बिजली देने पर कोई शर्त लागू न की जाए।

उल्लेखनीय है कि योगी मंत्रिमंडल ने अपनी 5 मार्च की बैठक में प्रदेश के 14 लाख 78 हजार नलकूपों को मुफ्त बिजली देने की अपनी पूर्व घोषणा पर मुहर लगा दी थी। मुफ्त बिजली हेतु वर्ष 2023-24 के लिए 2400 करोड़ व 2024-25 के लिए 1800 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। विद्युत निगम ने कहा है कि जो किसान 31 मार्च तक बकाया भुगतान देंगे, छूट या मुफ्त बिजली का लाभ वे ही ले सकेंगे।

किसानों की या विद्युत उपभोक्ता परिषद की मांगों में पेंच है। जब नलकूप से सिंचाई का कोई बिल ही नहीं आना तो मीटर लगे रहने को अनौचित्यपूर्ण बताया जाता है। भाकियू के आह्वान पर नलकूपों के हजारों बिजली मीटर किसानों ने स्वयं उतार दिये हैं। उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी या लाइन लॉस की विकट समस्या है। मीटर लगे रहेंगे तो पता चलेगा कि नलकूप पर कितनी बिजली कंज्यूम हुई। पंजाब जैसे राज्य में, जहां डेरों में घर व खेत होते हैं, मुफ्त की बिजली से सिंचाई के अलावा एसी, पंखे, फ्रिज आदि भी चलते हैं। उत्तर प्रदेश में पंजाब जैसी डेरा पद्धति तो नहीं है किन्तु यहां ग्रामों में मीटर चैकिंग करने गये लोगों को मुर्गा बनाने का प्रचलन है।

मुफ्त बिजली लेने वालों को 31 मार्च तक क्यों भुगतान चुकता नहीं करना चाहिए, इसका कोई सही जवाब उपभोक्ता परिषद के पास नहीं है। हो सकता है वोटों की खातिर सरकार लाइन लॉस व बिजली चोरी की समस्या को नज़रअंदाज़ कर दे। ऐसा होता है तो इसका भार उन विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जो टैक्स भी देते हैं और समय पर बिजली का बिल भी अदा करते हैं।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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