नारी उत्पीड़‌न को रोकिये!


महिला सशक्तिकरण और नारी उत्थान के शोर के बीच आज भी नारी उत्पीड़न की पैशाचिक घटनाओं के समाचारों से हृदय काँप जाता है और 21वीं सदी में भी लगता है कि हम आदिम काल में जी रहे हैं।

बरेली के बिथरी चैनपुर का समाचार है कि पिंकी सागर नाम की एक महिला जोगेन्द्र नाम के व्यक्ति के साथ आपसी सहमति से पत्नी के रूप में रह रही थे। जोगेन्द्र ने न सिर्फ पिंकी को बुरी तरह पीटा ही, बल्कि क्रूरता की सारी सीमायें लांघते हुए उसकी आंखें निकाल लीं। किसी ने पिंकी की माँ सावित्री को इसकी सूचना दी तो उसने बिथरी पाने में रपट लिखवाई।

3 मई को बिजनौर में कम्प्यूटर सेंटर चलाने वाली शिक्षिका पर एकतरफा प्यार के चक्कर में एक लड़के ने फायर झोंक दिया। दो दिन बाद मेरठ में महिला की मृत्यु हो गई।

कर्नाटक के हुबली शहर में फैयाज नाम के युवक ने कॉलेज में घुस कर नेहा नाम की छात्रा की चाकू घोप कर हत्या कर दी। हत्यारे के समर्थन में दो मुस्लिम युवकों ने पोस्ट डाल कर नेहा की हत्या को सही ठहराया।

पिछले महीने मुज़फ्फरनगर की एक लड़की को देहरादून ले जाकर हत्या की गई। 5 मई को भोपा (मुजफ्फरनगर) क्षेत्र के एक गांव में खुशनुमा नाम की विवाहिता को पति साजिद ने चाकू मार कर मौत के घाट उतारने की कोशिश की। 5 मई, 2024 को हमीरपुर के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के व्यक्ति ने अपनी पत्नी को बुरी बरह पीटा और पेचकस गर्म करके उसके सीने पर अपना नाम गोद डाला। इतना ही नहीं, पति ने पत्नी की उंगलियों के नाख़ून प्लास से खीच हाले। शिकायत होने पर ‌थाना झलोखर के प्रभारी ने युवक को मानसिक रोगी बना कर मामला निपटा दिया।

नारी उत्पीड़न की चर्चा करें तो तंदूर और चूना भट्टी में महिलाओं को फूंक डालने की पैशाचिक घटनाओं से लेकर निर्भया तक की घटनाओं की याद आती है। दिल्ली में कैसे एक दरिन्दे ने लड़की की हत्या कर शव को फ्रिज में बन्द रखा और उसके अंगों को आरी से काट-काट कर कैसे दिल्ली की पहाड़ियों के जंगल में बिखेरा और कैसे लखनऊ में लड़की को चौथी मंजिल से धक्का लेकर मार डाला गया।

मोदी सरकार ने अपराधों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से आईपीसी और सीआरपीसी को सुधार कर लागू किया है। प्रधान न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नई कानून संहिता की प्रशंसा की है। हमें ज्ञात नहीं कि सदियों से चले आ रहे नारी जाति के उत्पीडन को रोकने के लिए नई आईपीसी में क्या कोई तात्कालिक प्रावधान है या नहीं। आंखें और नाख़ून निकालने या महिला के शरीर को तपते लोहे से दाग‌ने जैसे कुकृत्य करने वाले नर-पिशाचों को तो एकदम तुरताफुरती से दंड मिलना चाहिए। जो पुलिसजन ऐसे नृशंस मामलों पर लीपापोती करते हैं, उन्हें भी दंडित करने की ज़रूरत है।

गोविन्द वर्मा

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